भागलपुर, 3 जनवरी (हि.स.)। जिले के गोराडीह प्रखंड के तरछा गांव के एक कोचिंग में शुक्रवार को युवाओं के बीच पीस सेंटर परिधि द्वारा सावित्री बाई फूले की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में ज्यादातर लड़कियां थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षक प्रसेनजीत तथा संचालन जय नारायण उर्फ अजय ने किया। मुख्य वक्ता परिधि के निदेशक उदय ने कहा कि सावित्री बाई महिला अधिकारों की लड़ाका थीं। हिंदू परंपरा में स्त्रियों और शूद्रों को पढ़ने की मनाही थी।
सावित्री बाई फूले ने पितृसत्तात्मक व्यवस्था को चुनौती देते हुए महिलाओं के लिए स्कूल खोला और फातिमा शेख के सहयोग से पढ़ाना शुरू किया। अपने जीवन साथी ज्योतिबा फुले द्वारा शुरू किए गए सत्य शोधक समाज की वे सहचरी थी। रूढ़िवादी परंपरा पितृसत्तात्मक व्यवस्था को तोड़ती हुई उन्होंने अपने पति का अंतिम संस्कार किया। महिला शिक्षा के अभियान में उनकी मित्र फातिमा शेख ने अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके पति समेत जब उनके ससुर ने घर से निकाल दिया था तो वे एक मुस्लिम उस्मान शेख के घर रह रही थी। फातिमा शेख उस्मान की बहन थी। हिंदू मुस्लिम एकता और सर्वधर्म समभाव की सावित्री बाई प्रतिमूर्ति थी। सभी पढ़ी लिखी और नौकरी पेशा करने वाली महिलाओं की सावित्री बाई पूर्वज हैं। अगर वे नहीं होती, उनका आंदोलन नहीं होता तो आज की लड़कियों को पढ़ने लिखने के लिए आंदोलन चलाना पड़ता। मौके पर रामचरित्र यादव, पूजा कुमारी, अरविन्द कुमार सिंह, जितेंद्र ने भी अपनी बातें रखी। सभी ने सावित्री बाई फूले की तस्वीर पर पुष्प भी अर्पित किए।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर