राष्ट्रपति ने उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से कहा- भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने में आपकी निर्णायक भूमिका

- राष्ट्रपति ने 8वें विजिटर पुरस्कार प्रदान किए

नई दिल्ली, 3 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से कहा है कि भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य प्राप्त करने में आपकी निर्णायक भूमिका है। उन्होंने शिक्षण के साथ-साथ शोधकार्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।

राष्ट्रपति मुर्मु सोमवार को राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय विजिटर कॉन्फ्रेंस 2024-25 के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति 184 केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों की विजिटर हैं। इस मौके पर राष्ट्रपति ने 8वें विजिटर अवार्ड-2023 के पांच विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।

राष्ट्रपति ने उद्घाटन भाषण में कहा कि किसी भी देश के विकास का स्तर उस देश की शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में साफ झलकता है। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से कहा कि भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ शोध पर भी बहुत ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। भारत सरकार ने बहुत अच्छे उद्देश्य से राष्ट्रीय अनुसंधान कोष की स्थापना की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षा संस्थान इस महत्वपूर्ण पहल का अच्छा उपयोग करेंगे और शोध को प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत के उच्च शिक्षण समुदाय की महत्वाकांक्षा यह होनी चाहिए कि हमारे संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं को विश्वस्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जाए। हमारे संस्थानों के पेटेंट विश्व में बदलाव ला सकें और विकसित देशों के विद्यार्थी भारत को उच्च शिक्षा के लिए पसंदीदा स्थान के रूप में चुनें।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा से दुनिया के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं को समृद्ध करते हैं। उन्होंने हमारे देश में उनकी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जब विश्व समुदाय हमारी प्रयोगशालाओं में किए जा रहे कार्यों को अपनाने के लिए उत्सुक होगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश के कई उच्च शिक्षण संस्थानों की वैश्विक ब्रांड वैल्यू है। इन संस्थानों के विद्यार्थी को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों और कंपनियों में बड़ी जिम्मेदारियां मिलती हैं। हालांकि, हमारे सभी संस्थानों को बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहिए। हमारी विशाल युवा आबादी की अपार प्रतिभा को विकसित और उपयोग में लाकर उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के नेतृत्व को मान्यता दी जाएगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्कृष्टता के साथ-साथ सामाजिक समावेश और संवेदनशीलता भी हमारी शिक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य पक्ष होना चाहिए। उच्च शिक्षा प्राप्त करने में किसी भी तरह की कोई आर्थिक, सामाजिक या मनोवैज्ञानिक सीमा बाधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों और शिक्षकों को युवा विद्यार्थियों का ध्यान रखना चाहिए, उनके मन से किसी भी तरह की असुरक्षा को दूर करना चाहिए और उन्हें नैतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को परामर्श और प्रेरणा प्रदान करने और परिसरों में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में वैज्ञानिक उपलब्धियों की समृद्ध परंपरा है। देश के हर क्षेत्र में भारतीय ज्ञान और विज्ञान की शाखाएं और उप-शाखाएं फलीफूली हैं। गहन शोध करके ज्ञान और विज्ञान की अमूल्य लेकिन विलुप्त धाराओं को फिर से खोजना बहुत उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की यह जिम्मेदारी है कि वह आज के संदर्भ में ऐसी विकसित ज्ञान प्रणालियों का उपयोग करने के तरीके खोजे। राष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान राष्ट्र के भविष्य को आकार देते हैं। युवा छात्र हमारे नीति निर्माताओं, शिक्षकों, संस्थानों के प्रमुखों और वरिष्ठ छात्रों के आचरण से सीखते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपनी वैश्विक सोच के साथ, उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख एक विकसित भारत के निर्माताओं की एक पीढ़ी तैयार करेंगे।

ये हुए पुरस्कृत-

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकी में नवीन स्वदेशी नवाचार विकसित करने के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के बायोकेमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर डॉ. सरिपेल्ला श्रीकृष्ण को नवाचार के लिए विजिटर पुरस्कार दिया गया। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए विजिटर पुरस्कार हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अश्विनी कुमार नांगिया को प्रदान किया गया। उन्हें किफायती लागत पर उन्नत प्रभावकारिता वाली उच्च जैव उपलब्धता वाली औषधियों और फार्मास्यूटिकल्स की खोज और विकास में उनके महत्वपूर्ण अनुसंधान के लिए यह पुरस्कार दिया गया।

जैविक विज्ञान में अनुसंधान के लिए विजिटर अवार्ड दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रीना चक्रवर्ती और पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राज कुमार को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। प्रोफेसर चक्रवर्ती को यह पुरस्कार सतत मीठे पानी की जलीय कृषि में उनके शोध योगदान के लिए दिया गया है, जबकि प्रोफेसर राज कुमार को विभिन्न कैंसर हॉलमार्क की खोज और सिंथेटिक एंटीकैंसर लीड अणुओं के विकास में उनके शोध योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

प्रौद्योगिकी विकास के लिए विजिटर पुरस्कार, गति शक्ति विश्वविद्यालय वडोदरा, गुजरात के प्रो. डॉ. वेंकटेश्वरलु चिंताला को लैंडफिल नगरपालिका मिश्रित प्लास्टिक कचरे से वाणिज्यिक स्तर पर पेट्रोल और डीजल उत्पादन में उनके अनुसंधान योगदान के लिए प्रदान किया गया।

इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी और सुकांत मजूमदार, प्रधानमंत्री के सलाहकार अमित खरे, राष्ट्रपति की सचिव दीप्ति उमाशंकर, उच्चतम शिक्षा विभाग के सचिव विनित जोशी और देशभर के उच्चतम शैक्षणिक संस्थानों के निदेशक और कुलपति उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

   

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