रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 को मिली संसद की मंजूरी

नई दिल्ली, 10 मार्च (हि.स.)। राज्यसभा ने सोमवार को रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा पिछले साल दिसंबर में इसे पारित कर चुकी है। इसके साथ ही विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई। विधेयक का उद्देश्य रेलवे बोर्ड और रेलवे से जुड़े विधेयकों को एकीकृत करना है। विधेयक 1905 के रेलवे बोर्ड अधिनियम और 1989 के रेलवे विधेयक को एकीकृत करेगा।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 के तहत केंद्र सरकार रेलवे के संबंध में अपनी शक्तियों और कार्यों को रेलवे बोर्ड में निवेश कर सकती है। विधेयक 1905 अधिनियम को निरस्त करता है और इन प्रावधानों को रेलवे अधिनियम, 1989 में शामिल करता है।

केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज विधेयक पर पिछले दिनों हुई चर्चा का उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड और रेलवे से जुड़े विधेयक को एकीकृत करने से रेलवे का विकास और कार्यदक्षता बढ़ेगी। विधेयक के माध्यम से कानूनी ढांचे का सरलीकरण होगा।

रेल मंत्री ने विपक्ष को रेल हादसों और रेलवे सुरक्षा से जुड़ी राजनीति से दूर रहने की अपील करते हुए कहा विधेयक से विकेन्द्रीकरण और सहयोगी संघवाद को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में रेलवे में तेज गति से विस्तार, नवीकरण और सुरक्षा की दिशा में कार्य हुआ है।

वैष्णव ने कई मुद्दों पर चरणबद्ध तरीके से विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। साथ ही मंत्री ने विपक्ष के रेलवे सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का भी जवाब दिया। उन्होंने बताया कि यूपीए के कार्यकाल के मुकाबले रेल दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है। उन्होंने रोजगार के मुद्दे पर कहा कि जहां यूपीए के कार्यकाल में 4.11 लाख को रेलवे में नौकरियां दी गई थी वहीं प्रधानमंत्री मोदी के 10 वर्षों के दौरान 5.02 लाख लोगों को नौकरियां दी गई हैं। हमने चयन प्रक्रिया को भी कैलेंडर आधारित, सरल और पेपर लीक से मुक्त रखा है।

इस दौरान रेल मंत्री ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे पर लगे आरोपों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है। नई दिल्ली में हुई घटना से कई सबक मिलें हैं, जिनपर काम हो रहा है। उन्होंने राजद सदस्य मनोज झा की ओर से लगाए गए सीसीटीवी कैमरा बंद किए जाने के आरोप का खंडन किया और कहा कि उनके मोबाइल में भी स्टेशन की फुटेज है। उन्होंने कहा कि हर जान बहुत कीमती होती है और इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। सरकार अब 60 स्टेशनों पर एक्सेस कंट्रोल कर रही है और यहां एक होल्डिंग एरिया बनाए जाएंगे। पांच स्टेशन पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नई दिल्ली, आनंद विहार, वाराणसी, अयोध्या और गजियाबाद पर इन्हें चालू भी कर दिया गया है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कंफर्म टिकट वाले ही स्टेशन के अंदर जा पायें।

उन्होंने कहा कि जल्द ही स्टाफ के लिए नई यूनिफॉर्म तैयार की जाएगी । इसका उद्देश्य आपात स्थिति में लोगों को यह बताना है कि यह व्यक्ति रेलवे का अधिकारी है और उससे संवाद किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सरकार तकनीकी लोगों के महत्व को स्वीकार करती है। इसी कारण से गतिशक्ति विश्वविद्यालय बनाया गया है। इससे नया विश्वास और नई पद्धति आई है। उन्होंने रेलवे के विद्युतीकरण का समर्थन करते हुए कहा कि इससे प्रदूषण में 92 प्रतिशत की कमी आती है। वहीं उन्होंने बताया कि डीजल 4,000 लोकोमोटिव को रखा जाएगा, जिसका उद्देश्य किसी हादसे के समय उस स्थान तक पहुंचना होगा।

रेल मंत्री ने इस दौरान उनके ऊपर तकनीशियन और नौकरशाह होने के कुछ आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनकी प्रतिबद्धता किसी नेता से काम नहीं है और इसमें अगर कोई कमी हो तो उस पर सवाल उठाए जाएं। उन्होंने विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों को बजट में रेलवे से जुड़े धन के आवंटन का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने सभी राज्यों के साथ समान तौर पर आवंटन किया है। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये सुरक्षा पर खर्च हो रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

   

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