जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने किए जरूरी उपाय

नई दिल्ली, 3 फरवरी (हि.स.)। जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018 (2022 में संशोधित) ने जैव ईंधन उत्पादन के लिए विभिन्न फीडस्टॉक्स की पहचान की है। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ सी और बी– भारी शीरा, गुड़, गन्ने का रस, चीनी, चीनी सिरप, घास के रूप में बायोमास, कृषि अवशेष (चावल का भूसा, कपास का डंठल, मकई के भुट्टे, चूरा, खोई आदि), चीनी युक्त सामग्री जैसे चुकंदर, मीठी ज्वार, आदि और स्टार्च युक्त सामग्री जैसे मकई कसावा शामिल है। इसके अलावा सड़े हुए आलू, कृषि खाद्य/लुगदी उद्योग अपशिष्ट, आदि, टूटे हुए चावल, मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त खाद्यान्न, राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (एनबीसीसी) द्वारा घोषित अधिशेष चरण के दौरान खाद्यान्न, औद्योगिक अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट गैसें, शैवाल और समुद्री खरपतवार भी शामिल है।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने आज राज्य सभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने जैव ईंधन उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति के तहत डीजल में जैव डीजल के मिश्रण/जैव डीजल की प्रत्यक्ष बिक्री का सांकेतिक लक्ष्य निर्धारित करना, परिवहन उद्देश्यों के लिए हाई स्पीड डीजल के साथ मिश्रण हेतु जैव डीजल की बिक्री के लिए दिशानिर्देश-2019 को अधिसूचित करना, मिश्रण कार्यक्रम के लिए जैव डीजल की खरीद के लिए जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करना आदि शामिल हैं। इसके अलावा, उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता देने हेतु अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन-जलवायु अनुकूल फसल आपदा निवारण) योजना 2019 में संशोधन किया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव

   

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