पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण और विकास होगा : पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर

जयपुर, 6 जनवरी (हि.स.)। पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने परंपरागत जल स्रोतों के जीर्णोद्धार और जल संचयन को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। सोमवार को शिक्षा संकुल में जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग की समीक्षा बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बावड़ी, तालाब, कुंड, खड़ीन, जोहड़ जैसे जल स्रोतों का पुनः सर्वे कर चिन्हांकन किया जाए और इनका जीर्णोद्धार इसी वित्तीय वर्ष में पूरा किया जाए।

मंत्री ने परंपरागत जल स्रोतों की पानी की आवक के रास्तों को पुनः बनाने, नियमित सफाई करने और बड़े गड्ढों को तालाबों के रूप में बदलने का सुझाव दिया। डिग्गी-मालपुरा में तालाब के लिए डीपीआर शीघ्र तैयार करने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे भूमि कटाव रोकने पर भी ध्यान दिया जाए। विभाग द्वारा बनाए गए 75 अमृत सरोवर और 863 एनीकट की समीक्षा करते हुए उन्होंने अधिकारियों से इन परियोजनाओं की प्रगति पर विस्तृत जानकारी ली।

दिलावर ने अधिकारियों को ग्रामीणों से जुड़ने और उनकी समस्याओं को समझने के लिए गांवों में रात्रि विश्राम करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में सक्रियता दिखानी चाहिए। फील्ड में जाने से बचने वाले अधिकारियों पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि अगली बैठक तक फील्ड की पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

मंत्री ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 220 एनीकट और 50 बावड़ियों का जीर्णोद्धार किया जाएगा और इसे 31 मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने 1885 पंचायत भवनों और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 28 फरवरी तक वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए कृषि उत्पादन और बागवानी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है।

दिलावर ने विलायती बबूल के बढ़ते प्रसार पर चिंता जताते हुए इसे समूल नष्ट करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।

इस बैठक में विभाग के आयुक्त श्रीराम मीना और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। मंत्री ने विभागीय कमेटियों को सक्रिय करने और ग्रामीण विकास से संबंधित कार्यों में तेजी लाने पर बल दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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