बंगाल स्कूल भर्ती रद्द : डब्ल्यूबीएसएससी की गंभीर लापरवाहियां, जिससे योग्य और अयोग्य अभ्यर्थियों की पहचान असंभव बनी
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- Apr 03, 2025

कोलकाता, 03 अप्रैल (हि. स.)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2016 में शिक्षकीय और गैर-शिक्षकीय पदों पर की गई सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। इस मामले में अदालतों में चली लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान यह सामने आया कि आयोग की गंभीर लापरवाहियों के कारण यह तय करना असंभव हो गया कि कौन से अभ्यर्थी वास्तव में योग्य थे और किन्होंने रिश्वत देकर नौकरी प्राप्त की थी।
सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने मंगलवार को यह स्वीकार किया कि कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बार राशिदी की खंडपीठ द्वारा पिछले वर्ष अप्रैल में दिए गए इस निर्णय में सच्चाई थी कि योग्य और अयोग्य अभ्यर्थियों की अलग पहचान कर पाना असंभव था।
अदालत में हुई सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि इस भर्ती प्रक्रिया में सबसे बड़ी गलती ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट के संरक्षण को लेकर थी। इससे पहले आयोग लिखित परीक्षा की ओएमआर शीट को तीन वर्षों तक सुरक्षित रखता था, लेकिन 2016 के भर्ती पैनल के मामले में ये शीट एक साल के भीतर ही नष्ट कर दी गईं।
इतना ही नहीं, अदालत में यह भी खुलासा हुआ कि आयोग ने इन नष्ट की गई ओएमआर शीट की स्कैन की गई प्रतियां भी संरक्षित नहीं कीं। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आयोग ने ओएमआर शीट या उनकी स्कैन कॉपियां सुरक्षित रखी होतीं, तो योग्य और अयोग्य अभ्यर्थियों की पहचान आसानी से की जा सकती थी।
इस मामले में डब्ल्यूबीएसएससी और राज्य शिक्षा विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्य सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अयोग्य अभ्यर्थियों की नौकरी बचाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया, जिससे अब योग्य अभ्यर्थियों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
विपक्षी दलों ने सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि उसने अतिरिक्त पद (सुपरन्यूमेरेरी पोस्ट) इसलिए बनाए ताकि अयोग्य अभ्यर्थियों की नौकरी बचाई जा सके, न कि योग्य अभ्यर्थियों को समायोजित करने के लिए।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी इस फैसले पर सवाल उठाया था और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को आदेश दिया था कि इस मुद्दे को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के दायरे में लाया जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर