मक्खन दीन मामले में उप-न्यायाधीश कठुआ ने एसएचओ बिलावर से एटीआर मांगी
- Neha Gupta
- Mar 04, 2025


कठुआ 04 मार्च । एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उप-न्यायाधीश विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट कठुआ अमनदीप कौर ने एसएचओ पुलिस स्टेशन बिलावर को मखन दीन पुत्र मोहम्मद मुरीद निवासी गांव भटोडी तहसील बिलावर जिला कठुआ की हिरासत में यातना के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली दो शिकायतों में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब हो कि एक शिकायत मृतक माखन दीन (मोहम्मद मुरीद) के पिता और माखन दीन की विधवा जूना बेगम द्वारा दर्ज कराई गई है और दूसरी शिकायत अधिवक्ता मोहम्मद अनवर चैधरी और शेख शकील अहमद द्वारा दर्ज कराई गई है। दोनों शिकायतें अधिवक्ता अप्पू सिंह सलाथिया के माध्यम से दर्ज कराई गई हैं। जब ये दोनों शिकायतें उप-न्यायाधीश विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट कठुआ अमनदीप कौर के समक्ष सुनवाई के लिए आईं तो शिकायतकर्ताओं की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अप्पू सिंह सलाथिया ने कहा कि बिलावर पुलिस स्टेशन के एसएचओ और कठुआ के एसएसपी से संपर्क करने के बावजूद मखन दीन की हिरासत में यातना की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई जबकि प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ संज्ञेय अपराध बनते हैं और इसने शिकायतकर्ताओं को धारा 175 (3) बीएनएसएस 2023 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का आह्वान करने के लिए मजबूर किया।
अधिवक्ता अप्पू सिंह सलाथिया ने कहा कि 26 वर्षीय आदिवासी लड़का मखन दीन और उसके पिता मोहम्मद मुरीद को बिलावर पुलिस की हिरासत में रहते हुए थर्ड डिग्री यातना दी गई। उन्होंने कहा कि बीती 4 फरवरी 2025 को मोहम्मद शफी और लकी नामक दो पुलिस अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पूरी रात मखन दीन और उसके पिता मोहम्मद मुरीद को प्रताड़ित किया ताकि उन्हें आतंकवादियों की विध्वंसक गतिविधियों से संबंध रखने का बयान देने के लिए मजबूर किया जा सके। सुनवाई के दौरान एडवोकेट अप्पू सिंह सलाथिया ने हिरासत में पुलिस ज्यादतियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध फैसले का हवाला दिया, जिसका शीर्षक डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य था जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी या हिरासत में पूछताछ करते समय पुलिस अधिकारियों के लिए दस से अधिक दिशानिर्देश निर्धारित किए थे।
एडवोकेट अप्पू सिंह सलाथिया ने आगे कहा कि हाल ही में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसान-उद-दीन अमानुल्लाह की सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरोपियों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने के दौरान संवैधानिक और वैधानिक सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करने के लिए जांच एजेंसियों और पुलिस के आचरण पर नाराजगी व्यक्त की। उक्त पीठ ने आगे कहा कि यह दुखद है कि आज भी इस अदालत को डीके बसु के मामले में सिद्धांतों और निर्देशों को दोहराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अधिवक्ता अप्पू सिंह सलाथिया ने ललिता कुमारी बनाम यूपी राज्य और अन्य शीर्षक वाले संवैधानिक पीठ के फैसले का भी उल्लेख किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया कि जब कोई शिकायत किसी संज्ञेय अपराध के होने का खुलासा करती है तो एफआईआर अनिवार्य रूप से दर्ज की जानी चाहिए और वर्तमान मामले में बिलावर पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन किया है।
एडवोकेट अप्पू सिंह सलाथिया ने आगे कहा कि मक्खन दीन का वीडियो बयान एफआईआर दर्ज करने के लिए पर्याप्त था लेकिन उनकी मृत्यु से पहले की घोषणा के बावजूद बिलावर पुलिस मामला दर्ज करने में बुरी तरह विफल रही और इन परिस्थितियों में वर्तमान दो शिकायतें दर्ज की गई हैं। उन्होंने अदालत के समक्ष आगे प्रार्थना की कि यह बिलावर पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी करने के लिए कहा। यह एक उपयुक्त मामला है क्योंकि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का होना बनता है। एडवोकेट अप्पू सिंह सलाथिया की विस्तृत दलीलों पर विचार करने के बाद उप-न्यायाधीश विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट कठुआ अमनदीप कौर ने एसएचओ पुलिस स्टेशन बिलावर को 4 मार्च 2025 को अगली सुनवाई की तारीख से पहले मामले में कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
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