(अपडेट) केन्द्रीय खेल मंत्री मांडविया ने खो-खो विश्व कप विजेता भारतीय टीमों को सम्मानित किया
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- Jan 22, 2025
-पारंपरिक खेल लचीलापन, सामुदायिक भावना को दर्शाते हैं : मांडविया
नई दिल्ली, 22 जनवरी (हि.स)। केन्द्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बुधवार को नई दिल्ली में विश्व कप विजेता भारतीय खो-खो टीमों को सम्मानित किया। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में 19 जनवरी को खेले गए पहले खो-खो विश्व कप का खिताब जीतकर भारतीय पुरुष और महिला टीमों ने इतिहास रच दिया। दोनों टीमों ने अपने-अपने फाइनल में नेपाल को हराया था।
बुधवार को पुरुष और महिला खो-खो टीमों के पूरे खिलाड़ियों से केन्द्रीय खेल मंत्री मांडविया ने मुलाकात की। खिलाड़ियों के साथ कोच, भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और मंत्रालय तथा भारतीय खेल प्राधिकरण के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने खिलाड़ियों को बधाई दी और उनके प्रदर्शन की सराहना की।
देश में पारंपरिक खेलों के बारे में बात करते हुए केन्द्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि पारंपरिक खेल लचीलापन, सामुदायिक भावना को दर्शाते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये हमारे पारंपरिक खेल मूल्यों को बनाए रखते हैं। दुनिया को इन पारंपरिक खेलों की समृद्धि से बहुत कुछ सीखना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी हितधारकों की जीत का सिलसिला जारी रहना चाहिए, जिसका नवीनतम लक्ष्य 2026 एशियाई खेल हैं। हमने खो-खो विश्व कप के आयोजन में शानदार काम किया और हमें यह प्रयास करने की जरूरत है कि इन खिलाड़ियों को एशियाई खेलों में खेलने का मौका मिले। सरकार का प्रयास भी खो-खो को 2036 ओलंपिक खेलों में ले जाना है। इसके लिए खिलाड़ियों और कोचों को बेहतर प्रदर्शन करते रहना होगा। महासंघ को अच्छा प्रबंधन करते रहना होगा और खेल मंत्रालय खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में सहायता और सहयोग करता रहेगा।
राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित खो-खो विश्व कप 2025 में भाग लेने वाले 23 देशों में से भारत शीर्ष पर रहा। इसका श्रेय काफी हद तक भारतीय खेल प्राधिकरण जेएलएन स्टेडियम में महीने भर चलने वाले शिविर को दिया जाता है।
भारतीय महिला खो-खो टीम के मुख्य कोच सुमित भाटिया ने बताया कि 10 दिसंबर को हमने 60 खिलाड़ियों के साथ जेएलएन स्टेडियम में शिविर शुरू किया। उनमें से, हमने पुरुष और महिला टीम के लिए 15-15 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने। टीमों में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के खिलाड़ी शामिल थे और शिविर ने उन्हें टीम के बीच तालमेल बिठाने में मदद की। भाटिया ने कहा कि खिलाड़ियों को पहली बार खेल विज्ञान परीक्षण से गुजरना पड़ा और उन्हें भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से सर्वोत्तम आहार और आवास सुविधाएं प्रदान की गईं। इसने आज हमारी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चार साल बाद इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप के अगले संस्करण के साथ, हम पोडियम के शीर्ष पर फिर से भारत का झंडा फहराने का प्रयास करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह