केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने बारामुला जिले की प्रगति की समीक्षा की

श्रीनगर, 28 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने मंगलवार को नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम के विभिन्न संकेतकों के तहत जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले की प्रगति की समीक्षा की। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री करंदलाजे ने डाक बंगले में एक बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में स्थानीय विधायक जावेद हसन बेग, डिप्टी कमिश्नर (बारामुला) मिंगा शेरपा, दोनों मंत्रालयों और संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल हुए। शेरपा ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम के प्रमुख संकेतकों - स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे के तहत जिले के प्रदर्शन का अवलोकन प्रस्तुत किया।

मंत्री को बताया गया कि जिले ने नीति आयोग द्वारा जारी अपनी डेल्टा रैंकिंग में उल्लेखनीय प्रगति की है जो सितंबर तक 112 जिलों में 108 से 46 वें स्थान पर पहुंच गई है जिसने 59.30 का समग्र स्कोर हासिल किया है। शेरपा ने स्वास्थ्य और पोषण में सुधार पर प्रकाश डाला जिसमें सुविधाओं का उन्नयन और नए स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल, शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी, तपेदिक के मामलों में कमी और कुपोषण से निपटने में पोषण अभियान का प्रभावी कार्यान्वयन शामिल है।

करंदलाजे को बताया गया कि शिक्षा क्षेत्र में अच्छी प्रगति हुई है जिसमें छात्र नामांकन में पर्याप्त वृद्धि हुई है विशेष रूप से लड़कियों में ड्रॉपआउट दर में उल्लेखनीय कमी आई है, शिक्षकों के कौशल और स्कूल के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने और स्मार्ट कक्षाओं का उपयोग करके डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के प्रयास किए गए हैं।

विधायक बेग ने जल की कमी और अन्य विकासात्मक चुनौतियों से संबंधित चिंताओं को उठाया और उनके समय पर समाधान के लिए मंत्री के हस्तक्षेप की मांग की।

करंदलाजे ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को शिशु और मातृ मृत्यु दर के अंतर्निहित कारणों की पहचान करने और मृत्यु दर में और कमी सुनिश्चित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए व्यापक शोध करने का निर्देश दिया।

उन्होंने प्रशासन को विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के कार्यान्वयन की योजना बनाने के निर्देश दिए ताकि स्थानीय स्तर पर उत्पादित सेबों का कुशल उपयोग सुनिश्चित किया जा सके और लंबी दूरी तक परिवहन के दौरान किसी भी प्रकार की बर्बादी को रोका जा सके जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को लाभ मिलेगा।

   

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