17 दिन बाद कैंपस पहुंचे कुलपति, छात्रसंघ चुनाव को लेकर चर्चा

कोलकाता, 17 मार्च (हि. स.)। 17 दिनों बाद सोमवार को जादवपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति भास्कर गुप्ता अपने कार्यालय पहुंचे। सुबह 10.50 बजे वे विश्वविद्यालय में दाखिल हुए और सबसे पहले प्रशासनिक अधिकारियों, रजिस्ट्रार और अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद उन्होंने परीक्षा समिति के साथ चर्चा कर उन स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं को दोबारा आयोजित करने पर विचार किया, जो हाल के दिनों में नहीं हो सकी थीं।

हालांकि, विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद भी कुलपति ज्यादा देर अपने कार्यालय में नहीं रुके। दरअसल, एक मार्च को तृणमूल से जुड़े शिक्षकों के संगठन 'वेबकुपा' के सम्मेलन के दौरान विश्वविद्यालय में तनाव पैदा हो गया था। इस दौरान राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के साथ बदसलूकी की गई और कई छात्र घायल हुए। उसी रात भास्कर गुप्ता अस्पताल में घायल छात्रों से मिलने पहुंचे, लेकिन वहां छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद से ही वे अस्वस्थ हो गए थे। अब जबकि वे फिर से काम पर लौटे हैं, डॉक्टरों ने उन्हें मानसिक तनाव से दूर रहने की सलाह दी है, क्योंकि इससे उनकी सेहत बिगड़ सकती है। उनकी पत्नी ने सुबह डॉक्टर से फोन पर सलाह ली, जिसके बाद सीमित समय के लिए उन्हें कैंपस जाने की अनुमति मिली।

कर्मसमिति की बैठक को लेकर भास्कर गुप्ता ने कहा कि कार्यवाहक कुलपति होने के नाते बैठक बुलाने के लिए सरकारी अनुमति जरूरी है। हम जल्द ही सरकार से इस पर अनुरोध करेंगे। पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ, उसे लेकर चर्चा जरूरी है।

छात्रसंघ चुनाव पर उन्होंने कहा कि वे इसके पक्ष में हैं और इस संबंध में सरकार से कई बार अनुरोध कर चुके हैं। उनका मानना है कि चुनाव के जरिए ही विश्वविद्यालय में स्वस्थ माहौल बहाल किया जा सकता है।

वहीं, विश्वविद्यालय में पुलिस चौकी और बैरक बनाने के प्रस्ताव को लेकर उन्होंने कहा कि हमें पुलिस चौकी और बैरक बनाने का प्रस्ताव मिला है। इसे कर्मसमिति की बैठक में रखा जाएगा, जहां इस पर फैसला लिया जाएगा। हालांकि, पुलिस को चार हजार वर्गफुट जगह चाहिए, लेकिन हमारे पास इतनी जमीन उपलब्ध नहीं है।

सोमवार को विश्वविद्यालय में पढ़ाई सामान्य रूप से शुरू हो गई, लेकिन कला संकाय के छात्र तृणमूल से जुड़े प्रोफेसर ओमप्रकाश मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर ‘सुवर्ण जयंती भवन’ के बाहर धरने पर बैठे रहे। वे जमीन पर बैठकर कक्षाएं कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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