वसुदेव और देवकी ने देवी भागवत का पारायण किया, तो भगवान कृष्ण का जन्म हुआ: साध्वी गीताम्बा

वाराणसी, 22 मार्च (हि.स.)। डाफी स्थित एक वाटिका में चल रहे श्रीमद् देवी भागवत कथा के चौथे दिन शनिवार को भक्तों को देवी उपासिका साध्वी गीताम्बा तीर्थ ने कथा का अमृत पान कराया। उन्होंने कहा कि जब वसुदेव और देवकी ने देवी भागवत का पारायण किया, तो उन्हें भगवान श्री कृष्ण के रूप में पुत्र प्राप्त हुआ।

कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए साध्वी गीताम्बा ने बताया कि जब गर्ग ऋषि वासुदेव और देवकी से मिलने जेल में गए, तो वासुदेव ने गर्ग ऋषि से कहा कि कंस का अत्याचार बहुत बढ़ गया है। वह मेरे पुत्रों को जन्म लेने के बाद मार डालता है। कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे पुत्रों की रक्षा हो सके। इस पर गर्ग ऋषि ने वासुदेव और देवकी से संकल्प लेकर विंध्याचल की यात्रा की और वहां मां विंध्यवासिनी के समक्ष देवी भागवत का पारायण किया।

गर्ग ऋषि के पारायण के बाद मां विंध्यवासिनी प्रकट हुईं और आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि भगवान विष्णु ने आदेश दिया है कि वह वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लेंगे और कंस का वध करेंगे। देवी भागवत के पारायण से मां की कृपा से भगवान विष्णु स्वयं श्री कृष्ण के रूप में देवकी के पुत्र के रूप में जेल में जन्मे।

भगवान कृष्ण के जन्म के समय, मां भगवती के योग माया के कारण जेल में सभी लोग योग निद्रा में सो गए थे। वासुदेव जी ने श्री कृष्ण को लेकर यमुना नदी पार की और उन्हें वृंदावन पहुंचाया, जहां नंद बाबा के घर कृष्ण जी को रखकर यशोदा जी की पुत्री को लेकर मथुरा जेल लौट आए।

इसके बाद, जब कंस को यह जानकारी मिली कि देवकी को आठवीं संतान के रूप में कन्या का जन्म हुआ है, तो वह उसे मारने के लिए दौड़ा। लेकिन देवी कन्या उनके हाथ से बच निकली और जाते-जाते यह वचन दिया कि तुम्हें मारने वाला अब पैदा हो चुका है।

साध्वी गीताम्बा ने आगे कहा कि देवी भागवत की महिमा अत्यंत अद्भुत और अपरंपार है। जो भी व्यक्ति संतान प्राप्ति के लिए परेशान हो, या जिनकी संतान जन्म के बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाती हो, वह यदि देवी भागवत का पारायण करें या मां का विधि-विधान से पूजा करें, तो मां उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। कथा के समापन पर भक्तों के बीच आरती की गई और प्रसाद का वितरण किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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