इंग्लैंड से पहले भारत में महिलाओं को मिला मताधिकार, 2029 के बाद 50 फीसदी हो सकती है भागीदारी : योगी
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- Jan 08, 2025
— देश की संविधान सभा में 15 में से चार सदस्य उत्तर प्रदेश की थीं
कानपुर, 08 जनवरी (हि.स.)। भारत दुनिया का सबसे बड़ा व प्राचीन लोकतंत्र है। यह हमारे रग-रग में बसा हुआ है, जिसकी शुरुआत ईस्वी से 600 वर्ष पूर्व वैशाली से प्राप्त होती है। यही नहीं आजादी के बाद जब 1952 में देश में चुनाव हुए तो पुरुषों के साथ महिलाओं को भी मत का अधिकार दिया गया, जबकि इंग्लैड में यह अधिकार महिलाओं को बाद में मिला। इंग्लैंड ही नहीं ,दुनिया के कई देशों में भारत के बाद महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला। इस प्रकार भारत बहुत आगे बढ़ रहा है और 2029 में जब नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू हो जाएगा तो महिलाओं की भागीदारी 33 से 50 फीसदी विधायिका में पहुंच सकती है। हालांकि आज भी प्रगतिशील देशों से भारत की विधायिका में महिलाओं की भागीदारी अधिक है। यह बातें बुधवार को कानपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहीं।
कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन भारत क्षेत्र जोन 1 उत्तर प्रदेश उत्तराखंड विधानसभा मण्डल की महिला सदस्यों का सम्मेलन कानपुर के बिठूर में बुधवार को आयोजित हुआ। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों प्रदेशों के विधानसभा अध्यक्षों (क्रमश: सतीश महाना और ऋतु खंडूरी) के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह पल मेरे लिए आह्लादित करने वाला है। मेरा दोनों प्रदेशों से जुड़ाव है, क्योंकि उत्तर प्रदेश मेरी कर्मभूमि और उत्तराखंड जन्मभूमि है। उन्होंने कहा कि ऋतु खंडूरी की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राष्ट्र के लिए समर्पण की है। उनके परिवार से अनुभव व विरासत की अद्भुत परंपराएं जुड़ी हैं। महिला विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि कार्य ही विधायिका में आपकी यात्रा को शानदार व स्मरणीय बनाएगा। कार्यकाल इस मायने में महत्व नहीं रखता कि कितना लंबा कार्य कर रहे हैं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि कितने प्रभावी तरीके से आपने छाप छोड़ी है। यूपी की दृष्टि से आप छह से सात लाख और उत्तराखंड में साढ़े तीन से चार लाख लोगों की आबादी का नेतृत्व कर रही हैं। यह सौभाग्य लाखों में किसी एक को प्राप्त हो रहा है, इसलिए विधायिका के मंच से हमें भी अपने कार्यों से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना है, जो औरों के लिए प्रेरणादायी बन सके। विधायिका में आपकी उपस्थिति तभी प्रभावी हो पाएगी, जब आप आमजन व धरातल से जुड़े मुद्दों को रख पाएंगे। विधायिका के मंच पर कही गई आपकी बात आने वाले समय के लिए धरोहर बनती है।
56 फीसदी ब्लाॅक प्रमुख, 70 फीसदी महिलाएं जिला पंचायत अध्यक्ष
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रगतिशील देशों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी भी नहीं है, जबकि यूपी विधायिका में 14 से 15 फीसदी है। वहीं उत्तराखंड में 10 फीसदी से थोड़ा ऊपर है। हमारे यहां 56 फीसदी महिलाएं ब्लाॅक प्रमुख, 70 फीसदी जिला पंचायत अध्यक्ष जीती हैं। स्थानीय निकाय चुनाव, ग्राम प्रधानों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत अच्छा है। वे बहुत अच्छा कार्य भी कर रही हैं। विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तब प्रभावी होगा, जब वे अपने विवेक से निर्णय लेकर समाज से जुड़ी योजनाओं में संवेदना का परिचय देंगी। आज महिलाएं हर फील्ड में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। विधायिका में जाने के लिए समाज जीवन के बारे में भी नजदीक से देखें। कोई पक्ष कमजोर या खराब नहीं होता, उसके बारे में देखने का नजरिया अत्यंत मायने रखता है। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के तहत 2029 के बाद से महिलाओं की भागादारी ग्राम प्रधान से लेकर विधायिका में 33 से 50 फीसदी तक पहुंच सकती है।
इनोवेशन व नए प्रयोगों के लिए जानी जा रही उत्तर प्रदेश विधानसभा
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी विधानसभा है। यह पिछले ढाई-तीन वर्ष के अंदर इनोवेशन और नए-नए प्रयोगों के लिए जानी जा रही है। उप्र विधानसभा ने ई-विधान को सफलतापूर्वक लागू कर इसे पेपरलेस किया है। पॉर्लियामेंट्री डेमोक्रेसी में इन बातों को हम केवल बोल ही नहीं सकते, बल्कि उसका अनुभव भी कर सकते हैं। उप्र विधानसभा ने अनेक फील्ड से जुड़े विशेषज्ञों को मंच दिया। सामान्यतः विधानसभा में लोग दलीय प्रतिबद्धता से जुड़े होते हैं, इसलिए कॉमन सहमति नहीं बन पाती है, लेकिन अधिवक्ताओं, अभियांत्रिकी, चिकित्सकों, विज्ञान बैकग्राउंड या अलग-अलग पक्षों के प्रतिनिधि के साथ ग्रुप में बैठते हैं तो दलीय प्रतिबद्धता से ऊपर उठकर समाज व देश के बारे में सोचते हैं।
देश की संविधान सभा में 15 में से चार सदस्य उत्तर प्रदेश की थीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र पहले से ही काफी महत्वपूर्ण रहा है। देश की संविधान सभा में 15 में से चार सदस्य उत्तर प्रदेश (तब यूपी व उत्तराखंड एक) के थे। इसमें चार सदस्य कमला चौधरी, सुचेता कृपलानी, बेगम एजाज रसूल, पूर्णिमा बनर्जी थीं। इन लोगों ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया में भागीदार बनकर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। महिला जैसे घर को व्यवस्थित रूप से संचालित करती हैं, वैसे ही ग्राम पंचायत, स्थानीय निकाय, विधानसभा, लोकसभा में जाकर भी महिलाएं विकास के जरिए उदाहरण प्रस्तुत करें।
एक ग्राम पंचायत को स्वावलंबी बनाएंगे तो अगल-बगल वाले भी सीखेंगे
मुख्यमंत्री ने यूपी के अंदर ग्राम पंचायत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए गए कार्यों को गिनाया और बताया कि इससे भी रोजगार का सृजन किया गया। एक गांव कम से कम पांच से सात लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकता है। महिला स्वयंसेवी समूह को जागरूक कर ड्रोन दीदी, बीसी सखी आदि के माध्यम से ग्राम पंचायत को स्वावलंबी बनाएंगे तो अगल-बगल के गांव भी सीखेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में एक या दो क्षेत्र को उदाहरण बनाइए। शुरुआत एक से होगी, लेकिन उदाहरण सबके लिए होगा। सरकार व समाज जुड़ेगा तो आदर्श मॉडल बनाने में सफल हो पाएंगे।
इस दौरान उप्र विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खंडूरी, कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्या, गुलाब देवी, मंत्री रजनी तिवारी, प्रतिभा शुक्ला, महापौर प्रमिला पाण्डेय, विधायक, नीलिमा कटियार, सरोज कुरील आदि मौजूद रहीं।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह