जनविश्वास की नई धारा, आयुर्वेद की ओर बढ़ता भारत: डॉ अवनीश
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- Apr 07, 2025

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आयुर्वेद संगोष्ठी
हरिद्वार, 7 अप्रैल (हि.स.)। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी, हरिद्वार में “जनविश्वास की नई धारा – आयुर्वेद की ओर बढ़ता भारत” विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आयुर्वेद क्षेत्र के विशिष्ट वक्ताओं ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों, विशेषकर आयुर्वेद और होम्योपैथी की बढ़ती लोकप्रियता और प्रभावशीलता पर अपने विचार साझा किए।
मुख्य वक्ता डॉ. अवनीश उपाध्याय, नोडल अधिकारी – राष्ट्रीय आयुष मिशन, हरिद्वार ने कहा कि “यह केवल झुकाव नहीं, अनुभवजन्य विश्वास है जो लाखों रोगियों ने आयुर्वेद से राहत पाकर अर्जित किया है। आज रोगी आयुर्वेद की शुद्ध औषधियों, अनुकूल आहार-विहार और सहज दिनचर्या को अपनाकर न केवल रोग से मुक्त हो रहे हैं, बल्कि संपूर्ण जीवनशैली में संतुलन पा रहे हैं।”
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डॉ. अशोक तिवारी, अधीक्षक – ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी ने अपने ऑनलाइन उद्बोधन में कहा कि “आज का भारत परंपरागत चिकित्सा को आधुनिक शोध और नवाचार के साथ जोड़कर स्वास्थ्य की दिशा में एक नया मॉडल प्रस्तुत कर रहा है।”
डॉ. पंकज सिंह चौहान, उप चिकित्सा अधीक्षक – ऋषिकुल कैंपस, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने कहा कि “आयुर्वेद केवल उपचार नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित करने की एक समग्र प्रणाली है, जिसकी स्वीकार्यता अब वैश्विक स्तर पर भी तेजी से बढ़ रही है।”
डॉ. दीपिका वर्मा, प्रबंधक – ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी ने युवाओं को इस दिशा में प्रेरित करते हुए कहा कि “आज जरूरत है कि युवा आयुर्वेद को केवल करियर नहीं, सेवा के माध्यम के रूप में अपनाएँ और इसे वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ जनमानस तक पहुँचाएँ।”
संगोष्ठी का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि — “हम स्वास्थ्य के लिए फिर से प्रकृति की ओर लौटें, परंपरागत ज्ञान को आधुनिकता से जोड़ें और सबसे महत्वपूर्ण – रोग से पहले ‘रोगी’ को समझें।”
कार्यक्रम में ऋषिकुल फार्मेसी के अधिकारी, चिकित्सक, कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वस्थ, संतुलित और संस्कारित भारत के निर्माण हेतु आयुर्वेद को सशक्त माध्यम मानते हुए मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला