पुराने वराह मंदिर पर धर्मराज की पूजा अर्चना कर एक कटोरी राई की अर्पित

पुराने वराह मंदिर पर धर्मराज की पूजा अर्चना कर एक कटोरी राई की अर्पितपुराने वराह मंदिर पर धर्मराज की पूजा अर्चना कर एक कटोरी राई की अर्पित

अजमेर, 14 जनवरी(हि.स.)। अजमेर में मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया गया। इस दौरान लोगों ने पतंग उड़ाए और दान कर पुण्य कमाया। इस दौरान मंदिरों में सजावट की गई और सुबह से दर्शनों के लिए भीड़ लगी रही।

सुहागन महिलाओं ने अपने पति के दीर्घायु एवं यशस्वी जीवन की कामना के लिए 13 वस्तुओं का दान करके भगवान सूर्य का पूजन किया।

घरों में तिल से बने व्यंजनों की बहार रही। महिलाओं की ओर से भी इस मौके पर कई पारंपरिक कार्य रीति-रिवाज के साथ पूरे किए गए। सुबह से ही शहरवासियों ने दान-पुण्य करने की शुरुआत कर दी। शहरवासियों ने गायों को चारा तथा पक्षियों को दाना डाला। कई शहरवासी पुष्कर घाटी भी पहुंचे और वहां बंदरों को पुए वितरित किए। श्रद्धालु इस बार मुख्य बाजार एवं सड़कों पर चारा डालने के बजाए सीधे गौशालाओं में ही पहुंचे।

मंदिरों में देव दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। कई दान-दाताओं ने बाजार में ही पकौड़ी एवं पुए बनाकर लोगों को वितरित किए। लोगों ने मंदिरों में जाकर अपने आराध्य देव के दर्शन कर प्रसाद चढ़ाया। महिलाओं की ओर से मकर संक्रांति के मौके पर तेरुंडे वितरित करने की रस्म भी अदा की गई। महिलाओं ने अखंड सुहाग की कामना के साथ 13 महिलाओं को विभिन्न तरह की वस्तुएं देकर आशीर्वाद लिया। महिलाओं ने सास, जेठानी तथा ननद को सुहाग सामग्री भेंट की। मंदिरों में जाकर भी खिचड़ी, चावल एवं तिल से बने व्यंजन बनाए गए। शहर के बजरंग गढ़ और महावीर सर्किल पर लोगों ने गरीबों को कपड़े और खाद्य सामग्री वितरित की। लोगों ने पतंग उड़ाकर अपने शौक को पूरा किया।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार- 14 जनवरी को प्रातः 8:56 से पुण्य काल प्रारंभ हुआ, जो पुनर्वसु नक्षत्र से प्रारंभ होकर पुष्य नक्षत्र में विश्व कुंभ योग बना। इस दिन तीर्थ में स्नान, पूजन और दान पुण्य करने का करोड़ों गुना फल मिलता है। इस दिन दान पुण्य हवन का श्रेष्ठ योग वर्षों बाद बन रहा है। इस दिन धर्मराज जी का पूजन, उद्यापन, हवन पूजन, दान पुण्य का विशेष महत्व रहता है। वर्ष में एक बार इस विशेष पूजा से मनुष्य कर्म बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्ति को अग्रसर होता है।

मकर संक्रांति पर्व पर अजमेर में विशेष धार्मिक आयोजन हुए। सनातनी हिन्दू धर्मावलम्बियों ने पुष्कर सरोवर के घाटों पर स्नान ध्यान कर भगवान सूर्य देव को अर्ध्य प्रदान किया और दान—दक्षिणा देकर पुष्य कमाया। घर घर में माताओं व बहनों ने दान—दक्षिणा दी और जाने—अनजाने हुए पाप कर्म से मुक्ति के लिए धर्मराज से प्रार्थना की।

तीर्थ नगरी पुष्कर के इमली मोहल्ले में 900 वर्ष पुराने वराह मंदिर में द्वारपाल के रूप में मौजूद धर्मराज की अनूठी प्रतिमा पर मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालु महिलाओं ने विशेष पूजा की। मकर संक्रांति पर श्रद्धालु यहां अपने पाप काटने की कामना लेकर पहुंचे। धर्मराज की पूजा अर्चना कर उन्हें एक कटोरी राई अर्पित की। साथ ही बुढ़ापे में काम आने वाली वस्तुएं भी उन्हें भेंट की गई। मकर संक्रांति के दिन धर्मराज की पूजा अर्चना करने आने वाले श्रद्धालुओं का यहां दिन भर तांता लगा रहा।

एकमात्र धर्मराज की प्रतिमा : मंदिर के पुजारी पंडित आशीष पाराशर बताते हैं कि मंदिर में भगवान विष्णु के तीसरे वराह अवतार की प्रतिमा स्वयंभू है। वराह अवतार में भगवान विष्णु ने पाताल से पृथ्वी को अपने दांतों में रख बाहर निकाला था। कार्तिक माह में पुष्कर आने वाले श्रद्धालु वराह मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। तब धर्मराज के दर्शन भी जरूर करते हैं। खासकर मकर संक्रांति पर धर्मराज के दर्शन और पूजन करने आने वाले श्रद्धालु व्रत और धर्मराज जी की कथा करवाने का संकल्प लेते हैं। जिन लोगों ने धर्मराज के व्रत किए हैं वह मकर संक्रांति पर उजमना करते हैं। कई लोग मकर संक्रांति पर बुढ़ापे में आवश्यक वस्तुओं को भी धर्मराज को भेंट करते हैं। इनमें छाता, बर्तन, पलंग, वस्त्र आदि वस्तुएं हैं। उन्होंने बताया कि हर पूर्णिमा पर लोग धर्मराज की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाते हैं और एक कटोरी राई अर्पित करते हैं। मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने धर्मराज की प्रतिमा को एक कटोरी राई अर्पित कर पाप मुक्ति की प्रार्थना की।

‘‘शुभदा’’ के विशेष बच्चों को सामाजिक माहौल से जुड़े रहने के उद्देश्य से प्रत्येक पर्व, त्यौहार एवं उत्सव आयोजित किये जाते है। इसी क्रम में आज शुभदा स्पेशल् वर्ल्ड में विशेष बच्चों ने ‘‘मकर संक्रांति’’ पर्व उमंग, उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया। ‘‘मकर संक्रांति’’ पर्व में विषेष बच्चों के सहयोग एवं हौंसला बढाने जेल अधीक्षक पारस जागिड़ , उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / संतोष

   

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