कोलकाता, 10 जनवरी (हि. स.)। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) के वैज्ञानिकों ने पैंगोलिन की एक नई प्रजाति की खोज की है, जिसे इंडो-बर्मी पैंगोलिन (मनिस-इंडो-बर्मिका) नाम दिया गया है। यह खोज जैव विविधता के क्षेत्र में एक अहम कदम है और एशियाई पैंगोलिनों के विकास संबंधी विविधता को समझने में मदद करती है।
इंडो-बर्मी पैंगोलिन का विकास चीनी पैंगोलिन से लगभग 34 लाख वर्ष पहले हुआ था। यह विकास क्रम प्लीयोसीन और प्लाइस्टोसीन काल के दौरान हुआ, जो जलवायु और भूवैज्ञानिक परिवर्तनों से प्रभावित था।
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अद्वितीय अनुसंधान
इस अध्ययन का नेतृत्व मुकेश ठाकुर ने किया, जो जेडएसआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उन्होंने माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम का विश्लेषण करने के लिए आधुनिक जीनोमिक तकनीकों का उपयोग किया। ठाकुर ने कहा कि यह खोज छिपी हुई जैव विविधता को उजागर करने में आधुनिक आनुवंशिक उपकरणों की शक्ति का प्रमाण है। इंडो-बर्मी पैंगोलिन न केवल एशियाई पैंगोलिनों के अध्ययन को समृद्ध करता है, बल्कि क्षेत्र-विशेष संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
इसके साथ ही, कोलकाता विश्वविद्यालय की पीएचडी छात्रा लेनरिक कॉनचोक वांगमो ने इस अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश से नई प्रजाति के पैराटाइप नमूनों की पहचान में मदद की। वांगमो ने कहा कि इस खोज में योगदान देना एक सम्मान की बात है। यह प्रजाति पैंगोलिन संरक्षण में एक नया आयाम जोड़ती है और उनके आवासों को शिकार और क्षरण जैसे खतरों से बचाने के महत्व को रेखांकित करती है।
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आवास और संरक्षण
यह नई प्रजाति मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश और असम में पाई जाती है और संभवतः नेपाल, भूटान और म्यांमार तक फैली हो सकती है।
जेडएसआई के अनुसार, इस खोज से पैंगोलिन और उनके आवासों को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर