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नाहन, 14 फ़रवरी (हि.स.)।
वेलन्टाइन डे को युवाओ का दिवस माना जाता है और अधिकतर युवा ही इस दिवस पर घूमते फिरते देखे जा सकते हैं। लेकिन कुछ प्रेम ऐसे भी होते हैं जो हमेशा के लिए अपने त्याग व समर्पण से अमर हो जाते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण मिलता है नाहन शहर में जहां आज भी ब्रिटिश काल में यहां कार्यरत डॉ पियरसील व लेडी पियरसील की कब्रे अनोखे प्रेम का संदेश दे रही हैं।
डॉ पियरसील रियासत काल में तत्कालीन नगर पालिका के प्रेजिडेंट थे और उसी काल में सी एमओ भी रहे। ये इंग्लॅण्ड के निवासी थे। 1921 में डॉ पियरसील की मौत हो गयी जिन्हे अंग्रेजों के विशेष बने कब्रगाह में दफनाया गया। उनकी मौत के बाद लेडी पियरसील ने इंग्लॅण्ड जाने से इंकार कर दिया और वो यहीं रहीं। उन्होंने इच्छा जताई की उनकी भी कब्र उनके पति की कब्र के साथ बनाई जाये। लगभग 38 वर्षों बाद जब उनकी मृत्यु हुई तो उन्हें भी ठीक वैसी ही बंगाल केनोपी कब्र में उनके पति के साथ दफनाया गया।
आज भी ये कब्रें जोकि पति पत्नी की हैं लोगो को संदेश दे रही हैं कि अमर प्रेम ऐसा भी होता है और यह पति पत्नी में भो हो सकता है।
नाहन के प्रसिद्ध इतिहासकार व पूर्व विधायक कंवर अजय बहादुर सिंह बताते हैं डॉ पियरसील दम्पति में बहुत प्रेम था और लेडी पियरसील की अंतिम इच्छा अनुसार उन्हें उनके पति के साथ ही दफन किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर