70 साल के 116 बुजुर्गों की अद्भुत पदयात्रा-स्वास्थ्य, तप और साधना का प्रेरणादायक संदेश

70 साल के 116 बुजुर्गों की अद्भुत पदयात्रा-स्वास्थ्य, तप और साधना का प्रेरणादायक संदेश पदयात्रा का शाहपुरा में स्वागत

भीलवाड़ा, 3 दिसंबर (हि.स.)। केवल नींबू पानी के सहारे 225 किलोमीटर की यात्रा करने वाले 70 साल से अधिक उम्र के 116 बुजुर्गों ने शाहपुरा पहुंचकर एक अनोखा संदेश दिया है। यह जनजागृति उपवास पदयात्रा, जो राजस्थान के केकड़ी से शुरू होकर चित्तौड़गढ़ जिले के सुप्रसिद्ध सांवलियाजी मंदिर तक जाएगी, सोमवार रात को शाहपुरा में पहुंची। यहां रामनिवास धाम पर यात्रियों का स्वागत किया गया और उन्होंने विश्राम कर अगले पड़ाव के लिए प्रस्थान किया।

इस पदयात्रा का नेतृत्व इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर साइंटिफिक स्पिरिचुअलिज्म मेरठ के डॉ. गोपाल शास्त्री और अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच कर रहे हैं। यह यात्रा स्वास्थ्य, तप सेवा और सुमिरन साधना के वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें पदयात्री सुबह और शाम केवल नींबू पानी और शहद का सेवन करते हुए यात्रा कर रहे हैं।

शाहपुरा में रामनिवास धाम के बाहर ढोल-ढमाकों और पुष्पवर्षा के साथ यात्रियों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर साहित्य सृजन कला संगम, भारत विकास परिषद और टीम जीव रक्षणम के पदाधिकारियों के साथ-साथ शहर के गणमान्य नागरिकों ने यात्रियों का अभिनंदन किया।

यात्रा के संयोजक डॉ. गोपाल शास्त्री ने बताया कि उपवास और संतुलित आहार की यह पद्धति न केवल जटिल बीमारियों को ठीक करने में सहायक है, बल्कि यह आत्मिक शांति और शक्ति प्राप्त करने का भी प्रभावी माध्यम है।

इस यात्रा में राजस्थान सहित आठ राज्यों से 116 साधक शामिल हैं, जिनमें अधिकांश 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और महिलाएं हैं। यह पदयात्रा केवल नींबू पानी और शहद के सहारे 7 दिसंबर को चित्तौड़गढ़ जिले के सांवलियाजी मंदिर पहुंचेगी। इस दौरान साधक प्रतिदिन लगभग 30-32 किलोमीटर पैदल चलेंगे।

मंगलवार सुबह ध्यान साधना सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. गोपाल शास्त्री ने तप, सेवा और सुमिरन साधना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सही तरीके से ध्यान और उपवास करने से न केवल शारीरिक रोग, बल्कि मानसिक तनाव और अन्य समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। उन्होंने बताया कि यह विधि अस्थमा, डायबिटीज, अर्थराइटिस, थायराइड और हृदय रोग जैसे जटिल रोगों के इलाज में प्रभावी है।

पदयात्रा संयोजक कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने बताया कि यह यात्रा केकड़ी से शुरू होकर कादेड़ा, बीड़ के बालाजी, शाहपुरा, मिन्डोलिया, महुआ कलां, भीलवाड़ा, क्यारा के बालाजी पुर, नौगांवा, राशमी और कपासन के शनि मंदिर होते हुए 7 दिसंबर को सांवलियाजी मंदिर पहुंचेगी। यात्रा के समापन पर साधक भगवान सांवलिया सेठ के दर्शन कर अपने व्रत का पारणा करेंगे। कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने कहा कि यह पदयात्रा न केवल आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रही है, बल्कि प्राकृतिक जीवनशैली के वैज्ञानिक सिद्धांतों को भी उजागर कर रही है। इस यात्रा का उद्देश्य समाज में उपवास और आध्यात्मिक शक्ति के महत्व को समझाना है।

डॉ. गोपाल शास्त्री ने कहा कि संतुलित आहार और सही तरीके से उपवास करने से अखंड स्वास्थ्य, शक्ति, आनंद, ज्ञान और प्रेम प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस विधि से न केवल शारीरिक रोग ठीक होते हैं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी मिलती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद

   

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