साकरी में 27 साल बाद पांडव नृत्य, धार्मिकता और परंपरा का अद्भुत संगम 

- पलायन की वजह से सूने पड़े गांव में लौटी खुशहाली, भक्तों में उत्साह गुप्तकाशी, 06 दिसंबर (हि.स.)। द्वापर युग के पांडवों के युद्ध, वनवास और मोक्ष की कथाओं को जीवंत करने के उद्देश्य से साकरी ग्राम पंचायत में 27 वर्ष बाद पांडव लीला का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया और पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर सभी ग्रामीणों ने पांडवों, भगवान श्रीकृष्ण और हनुमान से क्षेत्र की खुशहाली, संपन्नता और समृद्धि की कामना की। द्वापर युग की पांडवों की कथाओं को जीवंत करते हुए पांडव नृत्य ने क्षेत्रवासियों को धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ने का काम किया। जहां पलायन की वजह से सूने पड़े गांव में फिर से खुशहाली लौट आई है, वहीं भक्तों का उत्साह भी देखने लायक है। पिछले 27 वर्षों में पहली बार आयोजित पांडव लीला में क्षेत्र के कई लोग पलायन कर चुके थे, अब वापस लौटे हैं। इससे गांव में खुशहाली और आवाजाही बढ़ी है। धार्मिक अनुष्ठानों, पैतृक कार्यों और मंगल कार्यों में शामिल होने के लिए अब लोग पांडव नृत्य का आनंद ले रहे हैं। पांडव लीला का समापन 25 दिसंबर को पूर्णाहुति के साथ होगा। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, पांडवों ने मोक्ष की प्राप्ति के लिए केदारनाथ धाम की यात्रा की थी। जहां-जहां से पांडव इस यात्रा के दौरान गुज़रे, उन गांवों में पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है। इस दौरान ऐरावत हाथी और गैंडा कैथीग जैसे आयोजन भी किए जाएंगे। पांडव नृत्य समिति के अध्यक्ष राकेश ममगाईं ने बताया कि 27 वर्षों बाद पांडव नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी वर्षों में प्रत्येक तीन साल में इस प्रकार के सनातनी अनुष्ठानों का आयोजन किया जाएगा। पांडवों के दर्शन के लिए प्रतिदिन सैकड़ों भक्त आकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। पांडव नृत्य के पांचवे दिन कनिष्ठ प्रमुख शैलेन्द्र कोटवाल, दौलत सिंह, उपहार समिति के अध्यक्ष विपिन सेमवाल, ग्राम प्रधान कविता रावत, सामाजिक कार्यकर्ता अंकित राणा, टीका ममगाईं समेत सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / बिपिन

   

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