पांडू सनातन देवालय में दुर्गा पूजा के दौरान नारी शक्ति के रूप महिलाओं को सम्मानित करने की परंपरा

पांडू सनातन देवालय में दुर्गा पूजा के उत्सव में नारी शक्ति के रूप महिलाओं को किया  सम्मानित।

गुवाहाटी, 08 अक्टूबर (हि.स.)। नवरात्र का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। मान्यता है कि जिस घर में मां दुर्गा की पूजा होती है, वहां सुख और समृद्धि बनी रहती है। यह पर्व केवल देवी की मूर्ति की पूजा ही नहीं, बल्कि हर नारी मां, बहन, बेटी का सम्मान करने का संदेश देता है।

पूरे देश के साथ असम में भी दुर्गा पूजा धूम धाम से मनाया जा रहा है। गुवाहाटी के कुछ पंडालों में पूजा का उद्घाटन महालय के बाद किया गया हैं। इनमें से मालीगांव के कॉलेज गेट सनातन देवालय उल्लेखनीय हैं।

सनातन देवालय में हर बार की तरह शारदीय दुर्गा पूजा और नवरात्र पूजा का आयोजन किया गया है। पूजा का उद्घाटन आध्यात्मिक मांगलिक समारोह के साथ किया गया। आर्ट ऑफ लिविंग के स्वामी माधवानंद महाराज, रवीन्द्रनाथ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. अमलेंदु चक्रवर्ती, पांडू कॉलेज के पूर्व प्राचार्य बिवास दास पुरकायस्थ, सामाजिक कार्यकर्ता बिवास मजुमदार सहित इलाके के प्रमुख गण्यमान्य व्यक्तियों की उपास्थिती में दुर्गा प्रतिमा का अनावरण किया गया।

उल्लेखनीय हैं कि सनातन देवालय की ओर से प्रतिदिन समाज के विभिन्न क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं और बुजुर्ग महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। इसका यह उद्देश्य है कि नवरात्र का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व केवल देवी की मूर्ति की पूजा ही नहीं, बल्कि हर नारी मां, बहन, बेटी का सम्मान करने का संदेश देता है।

दुर्गा पूजा के इस पावन उत्सव पर प्रतिदिन शाम को स्थानीय कलाकारों ने भक्ति गीतों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए मां दुर्गा की स्तुति का संदेश दे रहे हैं, जिससे दर्शकों में आध्यात्मिक उत्साह का संचार हो रहा है। इस अवसर एक विशेष नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गयी, जिसमें कोलकता आररजी कर मेडिकल कॉलेज में इलाज की एक विशेष घटना को दर्शाया गया था। इस साल पूजा का बजट करीब 12 लाख रुपये है। मूर्ति का निर्माण गुवाहाटी के मूर्ति कलाकार निर्मल पाल ने किया है और मंडप की सजावट संजीव ने की है।

प्रतिदिन श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था है। गुरुवार सप्तमी के दिन कुमारी पूजा और दशमी रविवार को मूर्ति समर्पण दिवस निर्धारित है। यहां की पूजा का आयोजन लगभग पांच हजार स्थानीय परिवारों द्वारा किया जाता है, जहां सनातन देवालय एक विशेष स्थानीय परंपरा को संरक्षित करना जारी रखे हुए है। यह आयोजन सरकार द्वारा निर्देशित सभी नियमों का पालन करते हुए और स्वयंसेवकों और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से सुरक्षा बनाए रखते हुए आयोजित किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर

   

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