शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पालकी में निकले,श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाया

—मातृशक्ति ने शंकराचार्य को लगाया 56 भोग, उतारी आरती

वाराणसी,04 अक्टूबर (हि.स.)। ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती सोमवार को केदारघाट स्थित श्री विद्या मठ से पालकी पर सवार होकर इलाके में निकले। श्रद्धालुओं ने इस दौरान पालकी पर पुष्पवर्षा कर उनकी आरती भी उतारी। क्षेत्रीय लोगों ने भी उनका अभिनंदन किया। इसके पहले मठ में भक्तों ने शंकराचार्य महाराज को 56 भोग समर्पित कर सामूहिक रूप से आरती उतारी।

मठ के मीडिया प्रभारी संजय पांडेय ने बताया कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद रविवार की देर रात आश्रम में आए। मठ में संतोष चौबे व चांदनी चौबे ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य शंकराचार्य के चरणपादुका का पूजन किया। सोमवार को शंकराचार्य ने श्री विद्यामठ में साध्वी पूर्णाम्बा के गीत जगद्गुरु बिरुदावली गान का लोकार्पण भी किया। शंकराचार्य के प्रवचन के पूर्व संस्कृत भाषा में बोली जाने वाली बिरुदावली का यह संस्कृत से हिन्दी काव्यानुवाद है। जो ज्योतिर्मठ के 55वें वर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य को समर्पित है। उन्होंने बताया कि 36 दिन में 36 राज्यों में गौध्वज प्रतिष्ठित कर,महाराष्ट्र में गौमाता को राज्यमाता घोषित करवाने के बाद शंकराचार्य ने रविवार को भदोही स्थित अजोराधाम मंदिर में जगदगुरुगुरुकुलम की एक नई शाखा का उद्घाटन भी किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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