स्वामी राघवानंद थे संतत्व की सच्ची प्रतिमूर्ति: रवींद्र पुरी

-स्वामी राघवानंद सरस्वती की पुण्यतिथि पर संतों ने किया श्रद्धांजलि अर्पण

हरिद्वार, 26 सितंबर (हि.स.)। श्री गंगा भक्ति आश्रम के परम अध्यक्ष श्रीमहंत स्वामी कमलेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरु भगवान की प्रतिमूर्ति होता है और शिष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर भगवत कृपा की अनुभूति कराता है। वे आज खड़खड़ी स्थित गंगा भक्ति आश्रम में अपने सद्गुरुदेव साकेतवासी स्वामी राघवानंद सरस्वती महाराज की तृतीय पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित संत महापुरुषों का आभार प्रकट कर रहे थे।

स्वामी कमलेशानंद ने आश्रम में चलाए जा रहे सेवा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए कहा कि संत शरीर का त्याग करते हैं, परंतु उनकी आत्मा सदैव अपने शिष्य और भक्तों के साथ रहती है। उनकी कृपा से ही सेवा प्रकल्पों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसके लिए सभी अनुयायी साधुवाद के पात्र हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने स्वामी राघवानंद सरस्वती को संतत्व की सच्ची प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि हम सबको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

श्रद्धांजलि सभा को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी शारदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी राघवानंद सरस्वती धर्म और संस्कृति के सच्चे संवाहक थे तथा संत एकता के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे।

बड़ा अखाड़ा उदासीन के कोठारी श्रीमहंत राघवेंद्र दास ने गंगा भक्ति पीठाधीश्वर स्वामी कमलेशानंद सरस्वती के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि अच्छे शिष्य की प्राप्ति केवल सच्चे गुरु काे होती है।

श्रद्धांजलि सभा का संचालन स्वामी सत्यव्रतानंद सरस्वती ने किया। स्वामी राघवानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि देने वालों में प्रमुख थे महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महंत ज्ञानानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत कृष्णदेव, स्वामी हरि बल्लभ दास शास्त्री, ऋषि रामकृष्ण तथा महंत सुभम गिरी सहित वृंदावन एवं हरिद्वार के सैकड़ों संतों एवं हजारों अनुयायी तथा भक्तों ने स्वामी राघवानंद सरस्वती को श्रद्धा सुमन अर्पित कर गुरु गद्दी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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