आईआईटी के शोधकर्ताओं ने चिकनगुनिया के खिलाफ संभावित दवा की पहचान की

-चिकनगुनिया के लिए पहला एंटीवायरल उपचार खोजने की दिशा में एक बड़ा कदम

हरिद्वार, 16 मार्च (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के वैज्ञानिकों ने चिकनगुनिया के इलाज की एक नई संभावना का अध्ययन किया है। चिकनगुनिया मच्छर जनित वायरल बीमारी है, जो बुखार, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और चकत्ते का कारण बनती है। उनके शोध से पता चलता है कि एचआईवी के इलाज के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवा इफाविरेंज चिकनगुनिया रोग के लिए भी एक प्रभावी उपचार के रूप में कार्य कर सकती है, क्योंकि यह इन विट्रो और चूहों के मॉडल दोनों में चिकनगुनिया वायरस की प्रतिकृति को कम करने में कारगर साबित हुई है।

नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर-बॉर्न डिजीज कंट्रोल के अनुसार, चिकनगुनिया भारत में एक आवर्ती सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, जिसके मामले हर साल कई राज्यों में रिपोर्ट किए जाते हैं। वर्तमान में, चिकनगुनिया के लिए विशेष रूप से कोई स्वीकृत एंटीवायरल उपचार नहीं है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा समर्थित आईआईटी रुड़की के अध्ययन में पाया गया कि इफाविरेंज लैब में विकसित सेल कल्चर और संक्रमित चूहों के मॉडल में वायरस के स्तर को कम करने में सक्षम था।

अध्ययन के प्रथम लेखक डॉ. संकेत नेहुल ने कहा कि हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि एफैविरेंज वायरस की प्रतिकृति प्रक्रिया के आरंभिक चरण में हस्तक्षेप कर सकता है। चूंकि यह दवा पहले से ही एचआईवी उपचार के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाती है, इसलिए आगे के नैदानिक परीक्षणों से चिकन गुनिया के उपचार के लिए इसकी क्षमता का पता लगाया जा सकता है, जिससे नई एंटीवायरल दवाओं के विकास के लिए आवश्यक समय और लागत में कमी आएगी।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि इफाविरेंज ने चिकनगुनिया से संबंधित सिंडबिस वायरस की प्रतिकृति को प्रभावित किया। हालांकि इससे यह संभावना बढ़ जाती है कि यह इसी तरह के वायरस के खिलाफ काम कर सकता है, लेकिन मनुष्यों में इन प्रभावों की पुष्टि के लिए आगे के अध्ययनों की आवश्यकता है।

संबंधित लेखक प्रोफेसर शैली तोमर ने इन निष्कर्षों के महत्व पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में चिकनगुनिया से संक्रमित लोग लक्षण प्रबंध पर निर्भर हैं क्योंकि कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है। हमारा अध्ययन प्रारंभिक वैज्ञानिक साक्ष्य प्रदान करता है कि चिकन गुनिया के उपचार के लिए इफाविरेंज एक संभावित एंटीवायरल दवा हो सकती है। हालांकि, चिकनगुनिया के रोगियों में इसकी प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए नैदानिक परीक्षणों की आवश्यकता होगी।

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने कहा कि आईआईटी रुड़की में हम ऐसे शोध के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर सके। यह अध्ययन मच्छर जनित वायरल संक्रमण के संभावित समाधान खोजने की दिशा में एक कदम है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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