गुरुग्राम: धर्म के आधार से ही सुखमय भारत की पुनर्स्थापना संभव: स्वामी सर्वानंद 

फोटो नंबर-03: अखिल भारतीय साधु संत महासम्मेलन में मंचासीन संत व कार्यक्रम में मौजूद लोग।

-देश, धर्म और जाति से ऊपर उठकर विश्व नव निर्माण का कार्य कर रही है ब्रह्माकुमारीज संस्था

-ओम शांति रिट्रीट सेंट में हुआ तीन दिवसीय अखिल भारतीय साधु संत महासम्मेलन

गुरुग्राम, 4 दिसंबर (हि.स.)। बोहड़ा कलां स्थित ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय अखिल भारतीय साधु संत महासम्मेलन का आयोजन हुआ। पावन श्रेष्ठाचारी सुखमय भारत की पुनर्स्थापना विषय पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अनेक संतों ने अपने विचार रखे।

दादी प्रकाशमणी सभागार में महाशक्ति पीठ दिल्ली से आए महामंडलेश्वर सर्वानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म का वास्तविक अर्थ धारणाओं से है। आज हमने संप्रदाय को ही धर्म समझ लिया है। ब्रह्माकुमारीज देश, धर्म और जाति से ऊपर उठकर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पवित्रता के आधार से नई दुनिया की पुनस्र्थापना धर्म सत्ता ही कर सकती है। हमें सिर्फ बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से साधु बनने की जरूरत है।

रुडक़ी से आए महामंडलेश्वर स्वामी दिनेशानंद भारती ने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने वाले की रक्षा धर्म स्वयं करता है। उन्होंने कहा कि पाप की मूल जड़ें अशुद्ध कामनाएं हैं। श्रेष्ठाचारी भारत के निर्माण का आधार धर्म है। ऋषिकेश से पधारे महामंडलेश्वर स्वामी स्वतंत्रानंद जी महाराज ने कहा कि सम्मान उन्हीं का होता है, जो जोडऩे का कार्य करता है। हमें जीवन को आज सामाजिक समरसता बहुत जरूरी है।

हरि मंदिर पटौदी से महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कहा कि संतों की वजह से ही आज पूरे विश्व में भारत का नाम बड़े गौरव से लिया जाता है। भारत विश्व गुरु है। क्योंकि भारत ही पूरे विश्व को अज्ञान अंधकार से निकालता है। ब्रह्माकुमारीज संस्था सनातन धर्म की पुनस्र्थापना में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।

हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद ने कहा कि सनातन धर्म एक मात्र ऐसा है, जो सारे विश्व को परिवार मानता है। भारत परमात्मा की अवतरण भूमि है। अयोध्या से आये रसिक पीठाधीश्वर महंत जनमेजय शरण जी महाराज ने कहा कि परमात्मा से जुडऩे का एक मात्र सूत्र प्रेम है।

हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी जी महाराज ने कहा कि मनुष्य का जन्म ही धर्म के साथ होता है। आत्मा के मूल गुण ही वास्तव में धर्म का स्वरूप है। कटनी, मध्य प्रदेश से पधारे आचार्य परमानंद जी महाराज ने कहा कि सुखमय भारत की पुनस्र्थापना में धर्म की अहम भूमिका है।

महर्षि भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील जी महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान को मैंने स्वयं अपनी आंखों से पल्लवित और पुष्पित होते देखा है। दिल्ली, एनसीआर के संत महामंडल की अध्यक्षा महामंडलेश्वर स्वामी विद्यागिरी जी महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारी बहनें नारी शक्ति को जगाने का सराहनीय कार्य कर रही हैं। ब्रह्माकुमारीज संस्था के प्रमुख महासचिव राजयोगी बृजमोहन ने कहा कि परमात्म प्रेम ही वास्तव में सत्य है। परमात्मा अविनाशी होने के कारण उसका प्रेम भी अविनाशी है। परमात्म प्रेम में ही सच्चा सुख है।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर हरियाणा

   

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