हिंदुओं को संगठित होने तथा अपनी संस्कृति और पर्यावरण बचाने का संदेश

हिंदुओं को संगठित होने तथा अपनी संस्कृति और पर्यावरण बचाने का संदेश।हिंदुओं को संगठित होने तथा अपनी संस्कृति और पर्यावरण बचाने का संदेश।

अजमेर, 27 जनवरी(हि.स)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम ने हिंदुओं को संगठित होने का आह्वान करते हुए कहा कि सालों की गुलामी के बाद अब अमृत काल का वह समय आ गया है जब हम सकारात्मक चिंतन करते हुए अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें तथा अपनी संस्कृति और पर्यावरण को बचाने का हर संभव प्रयास करें।

निंबाराम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजयमेरु महानगर और श्री माधव स्मृति सेवा प्रन्यास अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार शाम को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर के सभागार में आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

इस संगोष्ठी की विशेषता यह थी कि सभागार न केवल खचाखच भरा हुआ था वरन् अतिरिक्त कुर्सियां लगानी पड़ी और लगभग सवा घंटे के निंबाराम के भाषण के दौरान पिन ड्रॉप साइलेंस रहा। श्रोताओं ने एकाग्र और मंत्रमुक्त होकर निंबाराम को सुना।

गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम ने कहा कि हिंदुओं को संगठित रहना होगा तथा जातिगत भेदभाव से दूर रहकर समाज में समरसता पैदा करनी होगी। उन्होंने छुआछूत को अवैज्ञानिक बताया।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म भारत की आत्मा और संस्कृति की आधारशिला है। यह कोई सीमित कालखंड में उत्पन्न दर्शन नहीं, बल्कि शाश्वत सत्य है जो हजारों वर्षों से भारत की आत्मा बना हुआ है। सनातन धर्म में समरसता, सहिष्णुता, प्रकृति प्रेम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत समावेश है।

भारतीय संस्कृति में नदियों, वृक्षों, पशु-पक्षियों और संपूर्ण सृष्टि को पूज्य माना गया है। हमारी संस्कृति सामाजिक समरसता पर आधारित है तथा यह समाज को जोड़ने वाली है।

निंबाराम ने कहा कि हमें इतिहास के नायकों और लोक देवताओं को जाति के आधार पर नहीं बांटना चाहिए। इन्हें जाति या संप्रदाय के आधार पर विभाजित करना हमारे इतिहास के प्रति अन्याय होगा। अंग्रेजों और अन्य विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति पर आक्रमण का षड्यंत्र किया और हमारी संस्कृति, भाषा, धर्म और परंपराओं को नष्ट करने का हर संभव प्रयास किया। अंग्रेजों ने हमारी गुरुकुल शिक्षा पद्धति को समाप्त कर दिया, हमारे मूल ग्रंथों को गलत व्याख्याओं से दूषित किया और हमारी परंपराओं को पिछड़ा बताने की साजिश रची।

निंबाराम ने कहा कि सनातन का विचार ही भारत का विचार है। इसलिए सनातन पर आक्रमण राष्ट्र पर आक्रमण है और राष्ट्र पर आक्रमण सनातन पर आक्रमण है। सनातन शाश्वत है, अजय है, सभ्यताएं बदलती हैं संस्कृति नहीं। संघ का यह मानना है कि समाज के सभी वर्ग एक साथ मिलकर चलेंगे तो देश का विकास होगा और देश पुनः विश्वगुरु बनेगा ।

उन्होंने कहा कि यह स्थापित सत्य है कि भारत के राजाओं ने कभी भी विदेशों पर हमला नहीं किया, हां यह जरूर है कि जब अपने देश पर हमला हुआ तो उसका प्रतिकार सशक्त रूप से किया। आज यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि यह राष्ट्र की जो परिकल्पना है , वह अंग्रेजों की देन है । क्या इस संघर्षपूर्ण एक हजार वर्ष के कालखंड से पूर्व भारत नहीं था ? क्या 1947 के बाद ही यह देश बना , यह प्रचारित कर हमारे समाज को भ्रमित किया जा रहा है।

निंबाराम ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज विश्व पटल पर भारत का एक अलग परिदृश्य है। विकसित भारत के लिए सभी की सहभागिता आवश्यक है। स्वराज , स्वधर्म, स्व-तंत्र की स्थापना से ही भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा ।

निंबाराम ने पंच परिवर्तन के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम प्रकृति के साथ समभाव बनाएं, हमारे द्वारा प्रकृति का शोषण नहीं करना चाहिए। जितनी मेरी आवश्यकता है , उतना ही प्रकृति से लेना ।

कार्यक्रम की शुरुआत में भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्वलित किया गया। चित्तौड़ प्रांत के संघचालक जगदीश सिंह राणा, विभाग संघचालक मुकेश अग्रवाल भी उपस्थिति रहे । श्री माधव सेवा प्रन्यास के मंत्री खाजूलाल चौहान ने आभार व्यक्त किया ।

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