मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के कैदियों के लिए न्यायिक सुधारों का किया आग्रह

श्रीनगर, 3 नवंबर हि.स.। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में न्यायिक सुधारों की एक भावुक अपील की। उन्होंने भारत भर की जेलों में बंद कैदियों की दुर्दशा को राजनीतिक संकट के बजाय मानवीय संकट बताया।

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालतें हमारी आखिरी उम्मीद हैं। उन्होंने न्यायपालिका से हस्तक्षेप करने और दूर-दराज के राज्यों में कैद सैकड़ों कश्मीरी युवाओं के लिए न्याय, करुणा और संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

महबूबा ने स्थिति को बेहद दर्दनाक और अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि हर संख्या और हर मामले के पीछे एक कहानी है एक माँ अपने बेटे का इंतज़ार कर रही है, एक पिता चुपचाप बूढ़ा हो रहा है, एक बच्चा हर रात यह जाने बिना सो रहा है कि उसके माता-पिता कब लौटेंगे।

पीडीपी प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि यह मुद्दा राजनीति से परे है और इसे मानवता और निष्पक्षता के प्रश्न के रूप में संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के बाहर जेल में बंद युवा आँकड़े नहीं बल्कि इसी धरती के बेटे हैं जो सम्मान, निष्पक्ष सुनवाई और अपने जीवन को फिर से बनाने के अवसर के हकदार हैं।

महबूबा मुफ़्ती ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से क्षेत्र की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यवस्थागत खामियों पर ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कई सुधारों का प्रस्ताव रखा जिनमें शामिल हैं।

स्थानीय बंदीकरण जम्मू-कश्मीर के कैदियों को स्थानीय जेलों में रखा जाना चाहिए ताकि उनके परिवार उनसे मिल सकें और मुकदमे निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ सकें।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि विलंबित न्याय, न्याय से वंचित करने के समान है और न्यायपालिका से संविधान के अनुच्छेद 21, जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है को बनाए रखने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अभियुक्तों को हर सुनवाई में उपस्थित होने की अनुमति दी जानी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / राधा पंडिता

   

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