देसी-विदेशी कंपनियों को ठेका देकर शासन चला रहे राजनेता: शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती

बिहार पहुंचे पुरीे पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज

पटना, 18 मार्च (हि.स.)। पुरीे पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज मंगलवार काे बिहार के गया पहुंचे। गया के डेल्हा अवस्थी मंदिर में पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज जी का आगमन हुआ। अवस्थी मंदिर के शशांक अवस्थी ने जगद्गुरु का स्वागत किया। जगद्गुरु ने कहा कि मठ-मंदिरों को केंद्र बिंदु बनाकर समाज की संरचना में स्वस्थ भूमिका निभानी चाहिए।

उन्हाेंने पत्रकाराें से बातचीत के दाैरान राजनेताओं पर जाेरदार हमला बाेला। उन्हाेंने कहा राजनेता शासन करने की क्षमता नहीं रखते और देसी-विदेशी कंपनियों को ठेका देकर शासन चला रहे हैं। ऐसा न हाे कि आने वाले दिनों में विदेशी कंपनियां ही शासन चलाये।

शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी का जन्म बिहार प्रान्त के मधुबनी जिले के हरिपुर बख्शी टोल मानक गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम नीलाम्बर था। शंकराचार्य निश्चलानंद के अनुयायी देश विदेश दोनों जगह पर हैं, उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में हुई थी। उसके बाद उनकी सारी शिक्षा बिहार में ही हुई है। बताया जाता है कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद पढ़ाई के साथ-साथ कुश्ती,कबड्डी के अलावा फुटबॉल के भी अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं।

18 अप्रैल 1974 को हरिद्वार में लगभग 31 वर्ष की आयु में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज के शरण में उनका संन्यास सम्पन्न हुआ। फिर उसके बाद उनका नाम निश्चलानन्द सरस्वती रखा गया। गोवर्धन मठ पुरी के तत्कालीन 144 वें शंकराचार्य पूज्यपाद जगद्गुरु स्वामी निरंजन देव तीर्थ महाराज ने स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी मानकर 9 फरवरी 1992 को उन्हें अपने गोवर्धन मठ पुरी के 145 वें शंकराचार्य पद पर पदासीन किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / चंदा कुमारी

   

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