मुंगेली : खरीद केन्द्रों में 3 लाख क्विंटल से अधिक धान का उठाव नहीं, खुले में सड़ रहा धान

मुंगेली, 30 अप्रैल (हि.स.)। मुंगेली जिले के तकरीबन 83 उपार्जन केंद्रों में करीब 3 लाख 25 हजार क्विंटल धान खुले आसमान में पड़े हुए हैं, जिससे आने वाले दिनों में एक बार फिर शार्टेज की स्थिति बन रही है। इससे शासन को बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से नुकसान भी होगा, जिसके लिए जिम्मेदार कौन होगा बड़ा सवाल है?

विपणन विभाग की लापरवाही का खामियाजा समितियों को भुगतना पड़ेगा, जहां धूप, बारिश और चूहों के बारदाना को कुतरने से धान पड़े-पड़े सड़ रहा है। समिति के सदस्य इस बात से चिंतित हैं कि अगर जल्द धान का उठाव नहीं हुआ तो शॉर्टेज की भरपाई कैसे करेंगे।

समिति कर्मचारियों का कहना है कि, सरकार द्वारा धान समर्थन मूल्य में किसानों की धान खरीद 4 फरवरी तक की गई थी, जिसके बाद 28 फरवरी तक धान का उठाव हो जाना था। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी जब समिति केंद्रों से धान का उठाव नहीं हुआ तो समिति केंद्र के सदस्यों ने हाईकोर्ट की शरण ली।

उल्लेखनीय है कि, हाईकोर्ट ने 1 अप्रैल से 30 दिन के भीतर धान उठाव और निराकरण के लिए मार्कफेड को निर्दश दिया, लेकिन लापरवाही का आलम ऐसा कि हाईकोर्ट के निर्देशों के अंतिम दिन याने 30 अप्रैल गुजर जाने के बाद भी जिले में धान उठाव का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है।

सहकारिता विभाग के अधिकारी हितेश कुमार श्रीवास ने बताया कि, जिले के 105 उपार्जन केंद्रों में करीब 55 लाख क्विंटल धान की खरीद की गई। 22 उपार्जन केंद्रों में शत-प्रतिशत धान उठाव के साथ करीब 52 लाख क्विंटल धान का उठाव हो चुका है। अब जिन केंद्रों में धान रखा हुआ है, वहां धूप और चूहे की वजह से खराब होते जा रहे बारदाने से धान खराब हो रहा है। वहीं दूसरी ओर धान सूखत का भी खतरा है। इससे समितियों को शासन की ओर से मिलने वाली कमीशन राशि में कटौती हो सकती है।

डीएमओ शीतल भोई का कहना है कि, जिले के धान उपार्जन केंद्रों में रखे धान का डीओ कट चुका है। पड़ोसी जिलों से भी धान का उठाव किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / गायत्री प्रसाद / गेवेन्द्र

   

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