कनखल में खुले बद्रीश पंचायत मंदिर के कपाट

हरिद्वार, 12 मई (हि.स.)। आज वैशाख शुक्ल पंचमी और आदि जगतगुरु शंकराचार्य जयंती के अवसर पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। उसी तर्ज पर तीर्थनगरी हरिद्वार के उपनगर प्राचीन तीर्थ कनखल में अविरल और निर्मल गंगा के राजघाट पर स्थित बद्रीश पंचायत मंदिर के कपाट वैदिक विधि विधान के साथ खोले गए।

बद्रीनाथ की तरह ही बद्रीश पंचायत मंदिर में भगवान हरि नारायण का विग्रह है। मंदिर के कपाट खोलने से एक दिन पहले श्री रामायण जी का अखंड पाठ का आयोजन किया गया और जिसका आज पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ और इसी के साथ बद्रीश पंचायत मंदिर के कपाट खोले गए।

मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित गजेंद्र जोशी ने बताया कि 1930 में बद्रीश पंचायत मंदिर की स्थापना एक संत ने गंगा के पावन तट पर की थी। इस मंदिर के संस्थापक स्वामी इंद्रमणि आचार्य ने 1930 में उत्तराखंड के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम में दर्शन करने गए थे। उन्हें भगवान बद्री विशाल ने सपने में दर्शन दिए और कनखल में गंगा तट पर स्थित आश्रम में अपने विग्रह की स्थापना करने का आदेश दिया। सुबह स्वामी इंद्रमणि आचार्य ने अपने भक्तों को स्वप्न के बारे में बताया उसके बाद स्वामी ने राजघाट कनखल में गंगा के पावन तट पर बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना की। तब से यहां निरंतर 12 महीने भगवान बद्री विशाल की पूजा की जाती है और हर साल बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तरह ही यहां पर भी बद्रीश पंचायत के कपाट खोले जाते हैं। जिस मुहूर्त में बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं उसी मुहूर्त में कनखल में बद्रीश पंचायत मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।

बद्रीश पंचायत मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित गजेंद्र जोशी ने बताया कि शीतकाल में बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाते हैं, परंतु कनखल में बद्रीश पंचायत के कपाट साल भर खुले रहते हैं। जब बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में बंद रहते हैं, तब कनखल में बद्रीश पंचायत मंदिर के दर्शन करने से बद्रीनाथ धाम के बराबर ही पुण्य मिलता है। इलायची दाना, मूंगफली का दाना, मखाने, मिश्री के प्रसाद का भोग बद्रीनाथ धाम की तरह कनखल में बद्रीश पंचायत मंदिर में लगाया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/सत्यवान/रामानुज

   

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