आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रभावित करेंगे तीन नए कानून : डीजीपी

- ⁠किसी को दंड देना नहीं, न्याय देना है तीन नए कानूनों का लक्ष्य : प्रज्ञा पालीवाल गौड़

देहरादून, 13 मई (हि.स.)। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के देहरादून स्थित पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की ओर से सोमवार को पुलिस मुख्यालय के सरादर पटेल भवन में एक जुलाई 2024 से लागू होने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 विषय पर मीडिया कार्यशाला ‘वार्तालाप’ का आयोजन किया गया। उत्तराखंड डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि संसद से पारित इन तीन नए कानूनों के माध्यम से पहली बार व्यापक बदलाव किए गए हैं। इससे जांच में तेजी के साथ सजा भी जल्द मिलेगी। इसमें वक्ताओं ने पत्रकारों को तीन नए आपराधिक कानूनों पर जानकारी दी।

न्याय से जुड़ी हर प्रणाली की जवाबदेही-

वार्तालाप में पीआईबी नई दिल्ली की महानिदेशक प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने कहा कि इन तीन नए कानूनों का लक्ष्य किसी को दंड देना नहीं, न्याय देना है। नए कानूनों को देश की सेना के मद्देनजर सशक्त बनाया गया है। यह कानून पूर्णतः नागरिकों पर केंद्रित है। इसमें महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों को व्यापकता के साथ बनाना गया है। डीजी पीआईबी ने कहा कि इन कानूनों से न्याय से जुड़ी हर प्रणाली को जवाबदेह बनाया गया है।

उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने कहा कि संसद से पारित इन तीन नए कानूनों के माध्यम से पहली बार व्यापक बदलाव किए गए हैं। नए कानून क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के मुख्य अंग पुलिस, अभियोजन, जेल प्रणाली और न्यायपालिका को प्रभावित करेंगे। नए आपराधिक कानूनों में काफी बदलाव किए गए हैं। भारतीय न्याय संहिता में 190 व भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 360 तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 45 बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने अपने सभी अधिकारियों और पुलिस बल को इन कानूनों का प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया है।

नए कानूनों में फॉरेंसिक जांच को अत्यधिक प्राथमिकता-

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि राज्य स्तर पर कानूनों को लागू करने के छह समितियों जनशक्ति समिति, प्रशिक्षण समिति, सीसीटीएनएस समिति, इंफ्रास्ट्रक्चर समिति, पुलिस मैन्युअल समिति और जागरूकता समिति का गठन किया गया है। इन समितियों ने नए कानूनों को लागू करने के लिए प्लान आफ एक्शन तैयार किया है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में फॉरेंसिक जांच को अत्यधिक प्राथमिकता दी गई है। इससे सटिक और त्वरित न्याय मिलेगा।

कंविक्शन रेट में होगा इजाफा-

उप महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) बरिंदरजीत सिंह ने बाताया कि नए कानून पीड़ितों और नागरिकों को ज्यादा अधिकार देते हैं और न्याय व्यवस्था को समय सीमा में बांधने का काम करते हैं। नए कानून तकनीकी तौर पर सशक्त है और नई तकनीकी के माध्यम से न्याय देने के लिए प्रतिबद्ध है। नए कानूनों में गवाह की सुरक्षा की स्कीम का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के तहत फॉरेंसिक एविडेंस के माध्यम से कंविक्शन रेट में इजाफा होगा।

अपराध की शिकायत कहीं भी करने का अधिकार देंगे नए कानून-

अपर पुलिस अधीक्षक पीटीसी नरेंद्रनगर शेखर सुयाल ने बताया कि पहले के कानूनों में लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर की समस्या को नए कानून सुधारेंगे। ये नागरिकों के लिए सहज और सुलभ बनाए गए हैं। नए कानून आतंकवाद सहित कई अपराधों पर केंद्रित हैं। उन्होंने बताया कि नए कानूनों से आपराधिक न्याय प्रणाली के चार स्तंभ पीड़ित व आमजन, पुलिस, अभियोजन और न्याय व्यवस्था में व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि नए कानून नागरिकों को अधिकार देते हैं कि व्यक्ति अपने साथ हुए अपराध की शिकायत कहीं भी कर सकता है। नए कानूनों के तहत जब्ती के मामले में अब वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है।

तीन नए कानूनों में जोड़े गए ये नए अपराध-

सहायक विवेचना अधिकारी जावेद अहमद ने तीन नए कानूनों के न्यायिक पक्ष को समझाया। उन्होंने कहा कि नए कानून का मकसद न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करना है। साथ ही किस तरह से दोषसिद्ध दर में बढ़ोत्तरी हो, वो भी इन कानूनों में विस्तार से बताया गया है। नए कानूनों में नए अपराध जैसे संगठित अपराध, आतंकवाद अपराध, भारत की अखंडता और संप्रभुता को अघात पहुंचाने वाले अपराध जोड़े गए हैं। नए कानून पीड़ितों को मुआवजा देने को भी प्रथमिकता देते हैं। अब विवेचना की समय सीमा भी इन कानूनों में तय कर दी गई है।

बेहतर जनतंत्र के लिए लागू किए जाएंगे नए कानून-

पीआईबी देहरादून के उप निदेशक रोहित त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि बेहतर जनतंत्र के लिए इन तीन कानूनों को लागू किया जाएगा। इस दौरान उत्तराखंड पुलिस के अपर महानिदेशक सीबीसीबाईडी डा. वी मुर्गेशन, अपर महानिदेशक कानून व्यवस्था एपी अंशुमान आदि थे।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज

   

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