संसदीय क्षेत्र में साइकिल के लिए लोधी वोटरों की अब लामबंदी

चुनावी दंगल में तीनों दलीय प्रत्याशी जातीय समीकरण पाले में करने में जुटे

पहली बार बसपा प्रत्याशी भी चुनावी महासमर में खेल रहे ब्राह्मण ट्रंप कार्ड

हमीरपुर,15 मई (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय क्षेत्र में चुनावी घमासान के बीच अब जातिगत समीकरण बड़ी तेजी से बदल रहे हैं। साइकिल के लिए लोधी बिरादरी लामबंद होते दिख रही है। वहीं वोटों का ध्रुवीकरण न होने से भाजपा टेंशन में आ गई है। चुनाव मैदान में सिटिंग एमपी और भाजपा प्रत्याशी रुठे मतदाताओं को मनाने में जुटे हैं लेकिन पार्टी का परम्परागत माना जाने वाला वोट भी अब उनके गढ़ से खिसकता नजर आ रहा है। मायावती ने भी चुनावी रण में ब्राह्मण ट्रंप कार्ड फेंककर भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है।

हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट से पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल पिछले दस सालों से सांसद है। वह तीसरी बार कमल खिलाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। दस सालों के कार्यकाल से यहां के सवर्ण लोग नाखुश है। उनकी ही बिरादरी के तमाम ग्रामीण रुठे हैं। हालांकि पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल सरल स्वभाव के हैं जिनकी ईमानदारी पर क्षेत्र के लोगों ने आज तक उंगुली नहीं उठाई है लेकिन नाराजगी इस बात पर है कि सांसद किसी का फोन नहीं उठाते हैं। इतना ही नहीं संसदीय क्षेत्र में भी वह किसी के सुख दुख में भी शारीक नहीं होते हैं। भाजपा के एक जमीनी कार्यकर्ता का कहना है कि पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल ने संसदीय क्षेत्र के विकास केलिए बहुत कदम उठाए है। वह सदैव बुंदेलखंड की समस्या सदन में उठाते रहते है।

लेकिन कमी सिर्फ यही है कि वह किसी का भी फोन नहीं रिसीव करते हैं। इधर तीसरी बार चुनावी रण में सिटिंग एमपी के आने पर उनके वोट बैंक में भी सेंधमारी चल रही है। साइकिल जहां जातिगत मतदाता के बलबूते भाजपा को सीधे तौर पर झटका दे रही है वहीं हाथी भी उन्हें कहीं न कही नुकसान पहुंचा रहा है। चुनावी घमासान के बीच लोधी मतदाता भी अब साइकिल की तरफ लामबंद होता दिख रहा है। वैसे रुठे मतदाताओं को मनाने और भाजपा की हवा बनाने के लिए अब यहां पीएम नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैली कराने की तैयारी चल रही है। पीएम की 17 मई की शाम चुनावी सभा प्रस्तावित होने पर सुरक्षा संबन्धी प्रबंध में प्रशासन जुट गया है।

पहली बार बसपा प्रत्याशी भी चुनावी महासमर में खेल रहे ब्राह्मण ट्रंप कार्ड

इस बार हमीरपुर-महोबा की सीट पर चुनाव बड़े ही रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। मायावती ने कई दशक बाद पहली बार ब्राह्मण ट्रंप कार्ड फेंका है जिससे चुनावी दंगल में भाजपा और साइकिल की चुनावी गणित गड़बड़ाने लगी है। संसदीय क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक लोधी मतदाता है जबकि करीब ग्यारह फीसदी ब्राह्मण साढ़े नौ फीसदी क्षत्रिय और सात फीसदी निषाद मतदाता है। ये पिछले आम चुनाव में भाजपा का परम्परागत वोट बैंक माना गया था जिससे पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल ने रिकार्ड तोड़ मतों से कमल खिलाया था। लेकिन इस बार उनकी राहें इतनी आसान नहीं दिख रही है।

चुनावी दंगल में तीनों दलीय प्रत्याशी जातीय समीकरण पाले में करने में जुटे

लोकसभा की इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के मुहाने भाजपा, सपा और बसपा आ गई है। ऐसे में तीनों प्रत्याशी जातीय समीकरणों को अपने पाले में करने की कवायद में लगे है। अबकी बार चुनाव मैदान में लोधी बिरादरी से एक ही प्रत्याशी साइकिल पर सवार है जिसकी तरफ लोधी जाति के लोग एकजुट होने के आसार बन रहे है। इस बिरादरी के मतदाताओं के बिना कोई भी प्रत्याशी चुनाव में जीत का परचम नही फहरा सकता है। पिछले कई दशकों के रिकार्ड भी बताते है कि यहां की सीट पर सर्वाधिक लोधी जाति से लोग ही बंफर मतों से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे है।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज//बृजनंदन

   

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