विश्वविद्यालय कम पानी से अधिक उपज की कृषि तकनीक के लिए कार्य करे : राज्यपाल

University should work for agricultural technology of higher yield with less waterUniversity should work for agricultural technology of higher yield with less water

जयपुर, 15 मई (हि.स.)। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कृषि वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन से फसलों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से बचाने की तकनीक विकसित करने और कम पानी में अधिक उपज तकनीक विकास के लिए कार्य करने का आह्वान किया है। उन्होंने कृषि क्षेत्र में वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा के विकास के साथ कृषि उन्नति के लिए विश्वविद्यालयों में शोध और अनुसंधान की मौलिक दृष्टि के विकास के लिए भी निरंतर कार्य करने की आवश्यकता जताई।

राज्यपाल मिश्र बुधवार को श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के षष्ठम दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विश्वस्तरीय संस्थानों के साथ साझेदारी करते हुए विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिए भी निरंतर कार्य करे। उन्होंने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में कृषि शिक्षा के गुणात्मक विकास और कृषि उद्यमिता के लिए युवाओं को प्रेरित करने पर भी विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कृषि शिक्षा के अंतर्गत खेती में उन्नत बीजों के विकास के साथ कृषि प्रसंस्करण और कृषि विपणन की कारगर नीतियों से जुड़े पाठ्यक्रमों का समावेश किए जाने की भी आवश्यकता जताई।

राज्यपाल ने संविधान को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि संविधान को बदला नहीं जा सकता। संविधान ने ही हमें अधिकार दिए हैं तो कर्तव्य भी प्रदान किए हैं। उन्होंने सभी को संविधान संस्कृति के लिए कार्य किए जाने का भी आह्वान किया। उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर उकेरे चित्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि मूल प्रति में रामायण के आदर्श राम राज्य की कल्पना हैं तो श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गीता के कर्म संदेश का भी प्रसार है।

उन्होंने कृषि शिक्षा से जुड़े युवाओं का आह्वान किया कि वे संविधान की संस्कृति से जुड़े। रोजगार पाने वाले बनने की बजाय रोजगार देने वाले बनें। उन्होंने युवाओं को कृषि उद्यम स्थापित कर दुनियाँ में उभरते भारत की अर्थव्यवस्था को उच्च स्तर पर ले जाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।

राज्यपाल ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि स्वत्रंता से पूर्व ही कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय अस्तित्व में आ गया था और आज इसने विश्वविद्यालय के रूप में अपनी महती पहचान बना ली है। उन्होंने छात्राओं द्वारा 7 स्वर्ण पदकों में 4 पदक छात्राओं द्वारा प्राप्त किए जाने पर उनकी सराहना की। उन्होंने युवाओं से भविष्य की अपरिमित संभावनाओ को देखते हुए कृषि के जरिए राष्ट्र विकास के लिए निरंतर कार्य करने का आह्वान किया। समारोह में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लो ने दीक्षांत उद्बोधन में राजस्थान की जलवायु को ध्यान में रखते हुए जैव प्रौद्योगिकी, नैनों टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कृषि अनुसंधान में समावेश कर कृषि विकास को गति देने पर जोर दिया। कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

इससे पहले राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में कृषि और पशुपालन विकास से जुड़ी प्रसार शिक्षा प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। उन्होंने कृषि शिक्षा के अंतर्गत विकसित कृषि की नवीन तकनीक, उन्नत बीज, पशुपालन से जुड़े पशुधन संरक्षण और कृषि एवं फल प्रसंस्करण के लिए किए कार्यों की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकाशनों का भी विमोचन किया। बाद में विश्वविद्यालय परिसर में उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से निर्मित मलजल उपचार प्रौद्योगिकी और अपशिष्ट जल प्रबंधन संयंत्र और खेल पेवेलियन का भी लोकार्पण किया।

राज्यपाल एवं कुलाधिपति मिश्र ने दीक्षांत समारोह में डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लो को विश्वविद्यालय की ओर से डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया। आरंभ में राज्यपाल ने सभी को संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और मूल कर्तव्य पढ़कर सुनाए।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

   

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