जादूगरी को सरकार ललित कला में करे शामिल, जादू हाई क्वालिटी साइंस है : जादूगर शंकर सम्राट

रायगढ़, 16 मई (हि.स.)। बिहार के पटना से निकलकर रंगीन मायाजाल से जादूगर बने शंकर सम्राट का कहना है कि जादू कोई कला नहीं, बल्कि विज्ञान है। ऐसे में जादू को सरकार यदि ललित कला में शामिल करें तो बेहतर होगा। साथ ही मैजिक यूनिवर्सिटी की भी स्थापना होनी चाहिए, ताकि विलुप्त हो रही जादू की परंपरा को संरक्षित किया जा सके।

शहर के गोपी टॉकीज में गुरुवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में जादूगर शंकर सम्राट ने बताया कि उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की, मगर जादुई दुनिया उन्हें इस कदर भाया कि वे जादूगर बन गए। उन्होंने कहा कि बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की तरह वे भी माइंड रीडिंग मैजिक करते हैं। आमतौर पर लोगों को जादूगर दिग्भ्रमित करते हैं, लेकिन शंकर ऐसा नहीं करते। जादूगर शंकर सम्राट ने कहा कि कृष्ण भगवान सबसे बड़े मायावी थे, लेकिन उन्होंने इस कला को अपने तक सीमित रखा। जबकि, विलुप्त जादूगरी को संरक्षित करना मेरी प्राथमिकता है। साथ ही समाज में फैली कुरूतियाें को जादू से कम करना ही लक्ष्य है। कुछ ट्रिक्स से समाज को सन्देश देता हूं, ताकि अंधविश्वास के जाल में फंसे लोग असलियत से वाकिफ हो सके। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सोशल मीडिया के इस दौर में जादू भी अछूता नहीं रहा। मैजिक हाई क्वालिटी साइंस है और यह लाइव देखने की चीज है।

शहर के किसी प्रमुख जगह को करेंगे गायब

जादूगर शंकर सम्राट की दिली ख्वाहिश है कि वे रायगढ़ शहर के किसी भी प्रमुख स्थल को कुछ समय के लिए गायब कर अपनी जादुई कला का मुजाहिरा पेश करे, बशर्ते इसके लिए प्रशासन से उन्हें विधिवत परमिशन मिले तो। उनका पहला शो 17 मई को शाम 7 बजे होगा। इसके बाद रोजाना अपरान्ह 1, शाम 4 और देर शाम 7 बजे से उनके शोज होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रघुवीर प्रधान

   

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