बढ़ते ट्रैफिक से बिगड़ रही है कोटा की आबोहवा

कोटा, 22 मई (हि.स.)। वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर कोटा शहर के लिए आईआईटी जोधपुर द्वारा की गई रिसर्च स्टडी की रिपोर्ट की समीक्षा एवं चर्चा बुधवार को कोटा स्थित डीसीएम श्रीराम रिक्रिएशन सेंटर में रखी गई। समीक्षा के दौरान कोटा शहर के वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्लान एवं विभिन्न विभागों, इंडस्ट्री आदि की भूमिका पर चर्चा की गई।

आईआईटी जोधपुर की रिसर्चर एवं एसोसिएट प्रोफेसर दीपिका भट्टू द्वारा दिए गए प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि कोटा शहर में बढ़ते ट्रैफिक, स्टोन डस्ट एवं उद्योगों से होने वाला वायु प्रदूषण किस तरह से शहर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 2025 एवं वर्ष 2030 तक प्रदूषण का कितना भार सहने की क्षमता कोटा शहर में है। इस रिसर्च स्टडी में ट्रैफिक से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ईवी), सीएनजी, बायोफ्यूल आदि को बढ़ावा, उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए कोयले के उपयोग में कमी लाने तथा निर्माण कार्यों के दौरान उड़ने वाली डस्ट को पानी का छिड़काव कर नियंत्रित करने जैसे सुझाव इस रिपोर्ट में दिये गए हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उत्सर्जन को सोर्स लेवल पर ही नियंत्रित करना आवश्यक है। वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सड़कों के किनारे फुटपाथ पर पेड़-पौधे लगाने, ईवी को बढ़ावा देने, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सुचारू करने जैसे सुझाव भी इस अध्याय में दिए गए हैं। स्टडी में स्टोन डस्ट एवं निर्माण कार्यों से उड़ने वाली डस्ट में 50 प्रतिशत तक कमी लाने पर जोर दिया गया है। साथ ही, खुले में पड़े रहने वाले ठोस कचरे के उचित निस्तारण का भी सुझाव दिया गया।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जनवरी 2019 में जारी राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत कोटा शहर के लिए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट पर अध्ययन करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा आईआईटी जोधपुर के साथ एमओयू किया गया था। इसी एमओयू के तहत यह अध्ययन रिपोर्ट तैयार की गई है।

हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/संदीप

   

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