लोस चुनाव : मछलीशहर में त्रिकोणीय मुकाबले में कौन चखेगा जीत का स्वाद!

लखनऊ, 23 मई (हि.स.)। मछलीशहर को प्राचीन काल में मच्छिकासंड के नाम से भी जाना जाता था। किंवदंतियों के अनुसार यहां एक फकीर ने शर्की शासकों को विशिष्ट मछली भेंट की थी जिससे प्रभावित होकर यहां का नाम मछलीशहर रख दिया गया। एक अन्य जनश्रुति के मुताबिक इस क्षेत्र को पहले घीसू राजभर के नाम पर घिसुवा भी कहा जाता था। इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा पहले प्रयागराज(इलाहाबाद) जिले की फूलपुर सीट से जुड़ा था जहां से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जुड़ाव रहा। मछलीशहर संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 74 मछलीशहर में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

मछलीशहर संसदीय सीट का इतिहास

मछलीशहर 1962 में पहली बार स्वतंत्र लोकसभा बनकर अस्तित्व में आया। इससे पहले मछलीशहर के लोग फूलपुर लोकसभा के लिए 1952 और 1957 तक वोटिंग करते रहे। इस सीट का परिसीमन कई बार बदलने से संसदीय क्षेत्र का भूगोल समय-समय पर बदलता रहा। पहले चुनाव यह सीट सुरक्षित रही तो बाद के कई चुनावों में साधारण सीट हो गई। 2009 में परिसीमन के बाद यह फिर सुरक्षित सीट है। 1962 के पहले चुनाव में कांग्रेस के गणपत ने जनसंघ के महादेव को हराया था। मछलीशहर के मतदाताओं ने हर दल को आजमाया है। पहले तीन चुनाव में कांग्रेस, इसके बाद भारतीय लोकदल, जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा और फिर बसपा-सपा की बारी आई। पिछले दो चुनाव से भाजपा जीत रही है। कभी कांग्रेस का गढ़ रहे मछलीशहर में अब कांग्रेस अस्त्तिव बचाने की लड़ाई लड़ रही है। 1984 में आखिरी बार कांग्रेस से श्रीपति सांसद चुने गए थे। इसके बाद कांग्रेस की वापसी नहीं हुई।

पिछले दो चुनावों का हाल

साल 2019 में हुए संसदीय चुनाव में मछलीशहर लोकसभा सीट से भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने यहां से बी0पी0 सरोज को खड़ा किया था। जवाब में बसपा ने त्रिभुवन राम को मैदान में उतारा। उप्र में सपा और बसपा के बीच चुनावी गठबंधन था और यहां से बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारा। बी0पी0 सरोज को 488,397 (47.17 प्रतिशत) वोट मिले तो त्रिभुवन राम के खाते में 488,216 (47.15 प्रतिशत) वोट आए। चुनाव में मुकाबला कांटे का रहा और महज 181 मतों के अंतर से बी0पी0 सरोज को जीत मिली।

इससे पहले 2014 के चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी, तब भाजपा ने राम चरित्र निषाद (438,210 वोट) को मैदान में उतारा तो बसपा ने बी0पी0 सरोज (255,055 वोट) को टिकट दिया था। सपा ने तूफानी (191,387 वोट) को मैदान में उतारा। कांग्रेस की ओर से तूफानी निषाद (36,275 वोट) मैदान में थे। भाजपा के राम चरित्र निषाद ने 1 लाख 72 हजार 155 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की और सांसद बने।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने मछलीशहर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद बी0पी0 सरोज को दोबारा मैदान में उतारा है। बसपा से कृपा शंकर सरोज और सपा से प्रिया सरोज चुनौती देने के लिए मैदान में हैं।

मछलीशहर सीट का जातीय समीकरण

मछलीशहर संसदीय सीट पर करीब 19.23 लाख वोटर हैं। मछलीशहर में पिछड़े और दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछड़ों में भी यादवों की संख्या सबसे अधिक है। पिछड़ों के बाद अनुसूचित जाति मतदाता दूसरे नंबर पर हैं। इसके बाद ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ, मुस्लिम और अन्य जाति के मतदाता है।

विधानसभा सीटों का हाल

मछलीशहर संसदीय सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें मछीलशहर सुरक्षित, मडियाहूं, जफराबाद और केराकत सुरक्षित वाराणसी जिले में आती है। पिंडरा सीट वाराणसी जिले में आती है। मछलीशहर और केराकत सीट पर सपा काबिज है। बाकी सीटों पर भाजपा, सुभासपा और अपना दल सोनेलाल का कब्जा है।

जीत का गणित और चुनौतियां

मछलीशहर लोकसभा सीट पर जातीय मुद्दा नहीं है। कारण प्रमुख राजनीतिक दलों से सभी सरोज ही हैं, यानी भाजपा से मौजूदा सांसद बीपी सरोज, सपा से प्रिया सरोज और बसपा से कृपाशंकर सरोज। भाजपा ने पिछले चुनाव में इस सीट पर मात्र 181 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार जीत का आंकड़ा कुछ बड़ा हो सकता है। यहां भी मुकाबला दो दलों के बीच ही सिमटता दिख है। यहां तीनों प्रत्याशी एक बिरादरी से हैं तो तीनों का जोर सवर्ण वोटों पर है। यादव वाेट में बिखराव नहीं हुआ तो सपा यहां भाजपा को कड़ी टक्कर देगी। इसी तरह भाजपा ने सवर्ण समाज के मतदाताओं में सेंधमारी रोक ली और गैर यादव ओबीसी को अपने साथ मिलाया तो परिणाम फिर एक बार भाजपा के पक्ष में जा सकता है। इसके अलावा जिसे भी जीत चाहिए, उसे दलित वोट बैंक से एक हिस्सा अपनी ओर लाना होगा।

राजनीतिक समीक्षक राघवेन्द्र मिश्र के अनुसार, मछलीशहर में मुकाबला बेहद नजदीकी होने की उम्मीद है। पलड़ा किसी ओर भी झुक सकता है। बसपा के अकेले मैदान में उतरने से भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।

मछलीशहर से कौन कब बना सांसद

1962 गणपत राम (कांग्रेस)

1967 नागेश्वर द्विवेदी (कांग्रेस)

1971 नागेश्वर द्विवेदी (कांग्रेस)

1977 राजकेशर सिंह (भारतीय लोकदल)

1980 शिवशरण वर्मा (जनता पार्टी सेक्यूलर)

1984 श्रीपति मिश्रा (कांग्रेस)

1989 शिवशरण वर्मा (जनता दल)

1991 शिवशरण वर्मा (जनता दल)

1996 रामविलास वेदांती (भाजपा)

1998 चिन्मयनन्द (भाजपा)

1999 चन्द्रनाथ सिंह (सपा)

2004 उमाकांत यादव (बसपा)

2009 तूफानी सरोज (सपा)

2014 रामचरित्र निषाद (भाजपा)

2019 बी0पी0 सरोज (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ.आशीष वशिष्ठ/राजेश

   

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