आजकल भक्ति मार्ग में बहुत गुरु हैं, क्योंकि आसानी से धन मिल जाता है: सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज

साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज पूर्णिमा के अवसर पर राँजड़ी में अपने सत्संग से संगत को निहाल करते हुए कहा कि आजकल भक्ति मार्ग में बहुत गुरु हैं। क्योंकि आसानी से धन मिल जाता है। इसलिए साहिब ने गुरु के लक्षण भी बोल दिये हैं। धर्मदास जी ने साहिब से गुरु के लक्षण पूछे तो साहिब ने कहा कि पहले गुरु को परखना, फिर दीक्षा लेना। 

पहला-गुरु सन्यासी हो। गृहस्थ गुरु न हो। क्योंकि वो खुद माया में फँसा है तो आपका कल्याण क्या करेगा। दूसरा-वो निर्बन्ध हो। सच्चा गुरु मिल जाए तो साहिब कह रहे हैं कि सारा झगड़ा ही खत्म है। कुछ बाकी नहीं रहा मुक्ति पाने के लिए। तीसरा-गुरु सारग्राही हो। अपनी कमाई से खाता हो। चौथा-अयाचक हो। भिक्षा नहीं लेता हो। तीन तरह की भिक्षा है। मानस, राजस और तामस। आजकल लूटमलूटी लगी हुई है। मानस भिक्षा है कि मन से चाहना कि फलाना मुझे कुछ दे दे। जो आपसे कुछ चाह रहा है, आपको कुछ नहीं दे सकता है। दूसरी भिक्षा है-राजस। कुछ कहते हैं कि हमने गौशाला खोली है, धन दे दो। यह राजस भिक्षा है। किसी को दान के लिए बहलाना राजस भिक्षा है। तीसरी-तामस भिक्षा है। तुम्हारा यह काम बना देंगे, पैसा दो। सच्चा गुरु किसी तरह की भिक्षा नहीं लेता है। वो केवल आकाशवृत्ति से चलता है यानी जो खुद आ जाए।

निर्बन्धन होने से मतलब है कि जो पैसा उसके पास आए, वो अपने परिवार में किसी को न दे। अगर वो गरीबों का धन लेकर अपने परिवार में लगा रहा है, तो साहिब ने कहा कि वो पीढ़ी सहित नरक में जायेगा। अकेला नहीं जायेगा। क्योंकि यह बहुत बड़ा पाप है। दान का पात्र केवल गुरु है। पर गुरु सच्चा हो।

   

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