एमबीबीएस विद्यार्थियों के लिए दो से तीन साल की इंटर्नशिप जरूरी

हरियाणा मेडिकल काउंसिल ने लागू किए नेशनल मेडिकल कमीशन के आदेश

यूक्रेन, जार्जिया व रूस से पढ़कर लौटे विद्यार्थियों को झटका

चंडीगढ़, 17 जून (हि.स.)। विदेशों से एमबीबीएस की पढ़ाई करके लौटे हरियाणा के छात्रों को अब दो से तीन साल की इंटर्नशिप करने के बाद ही उन्हें डाक्टर का दर्जा मिल सकेगा। हरियाणा सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन के इन आदेशों को सोमवार से राज्य में लागू कर दिया है। हरियाणा मेडिकल काउंसिल की ओर से जारी आदेश के मुताबिक बिना दो से तीन साल की इंटर्नशिप के विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर लौटे छात्रों को डाक्टर नहीं माना जा सकेगा।

हरियाणा में मेडिकल की पढ़ाई बहुत अधिक महंगी है। इसे लेकर पिछले दिनों राज्य में बड़ा आंदोलन भी हो चुका है। इसलिए हरियाणा समेत देश के विभिन्न राज्यों से छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए रूस, चीन, यूक्रेन, किर्गिस्तान, फिलीपींस, जार्जिया, इजरायल और पोलैंड जाते हैं। इन देशों में पौने तीन लाख से 18 लाख रुपये तक में एमबीबीएस की पढ़ाई हो जाती है जबकि हरियाणा में औसत 15 से 20 लाख रुपये वार्षिक का खर्च आता है।

भारत में पढ़ने वाले इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट्स (आइएमजी) को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीइ) की परीक्षा नहीं देनी होती। साथ ही उनकी इंटर्नशिप का पीरियड सिर्फ एक साल का होता है। भारत के बाहर से एमबीबीएस कर लौटे छात्रों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स यानी एफएमजी कहा जाता है। उन्हें लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन ने पब्लिक नोटिस जारी किया है।

नोटिस में कहा गया है कि कई एफएमजी गलत तरीके से ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अपने मूल विश्वविद्यालयों से कंपेनसेटरी सर्टिफिकेट ले रहे हैं। यह पेशा बहुमूल्य मानव जीवन से जुड़ा है, इसलिए उनके जीवन को कम दक्ष लोगों के हाथों में दांव पर नहीं लगाया जा सकता। इसलिए अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमइबी) ने निर्णय लिया है कि अब से ऑफलाइन प्रैक्टिकल्स या क्लीनिकल ट्रेनिंग की जगह ऑनलाइन क्लासेज करके हासिल किए गए सर्टिफिकेट को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

नेशनल मेडिकल कमीशन की तर्ज पर ठीक ऐसे ही आदेश हरियाणा मेडिकल काउंसिल ने जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि जिन फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स ने अपने पाठ्यक्रम पूरा करने के दौरान किसी भी अवधि के लिए अपनी कक्षाओं में आनलाइन भाग लिया है, उन्हें एफएमजी परीक्षा पास करने और उसके बाद दो से तीन साल की अवधि के लिए अनिवार्य रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप यानी सीआरएमआई से गुजरना जरूरी है।

विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर आने वाले छात्रों को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए नेशनल बोर्ड आफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल सर्विसेज द्वारा आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन यानी (एफएमजीइ) को पास करना पड़ता है। यह स्क्रीनिंग परीक्षा पास करने के बाद ही उन्हें प्रोविजनल मेडिकल रजिस्ट्रेशन दिया जाता है। इसके बाद आती है इंटर्नशिप की बारी, जो कि पहले एक साल की होती थी, जिसे अब दो से तीन साल की कर दिया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/दधिबल

   

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