लोस चुनाव : राम की अयोध्या में भाजपा का कमल मुरझाया, सपा की दौड़ी साइकिल

लखनऊ, 04 जून (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की सबसे हॉट सीट बनी फैजाबाद-अयोध्या लोकसभा सीट पर भी भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। यही वो सीट है जहां अयोध्या का राम मंदिर मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में बनकर तैयार हुआ। फैजाबाद से बीजेपी प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद लल्लू सिंह लोकसभा चुनाव हार गए।

राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के लिए हमेशा से एक मुद्दा रहा है। पार्टी ने इसे हिंदू अस्मिता से भी जोड़ा। मंदिर के लिए भूमि पूजन से लेकर मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा तक को बहुत भव्य रूप दिया गया। बड़े और नामचीन लोगों को बुलाया गया। भव्य आयोजन किए गए। ऐसा माना जा रहा था कि राम का नाम चुनावी सागर पार कराने के लिए काफी होगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

सपा की साइकिल दौड़ी

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सपा के अवधेश प्रसाद को 5,54,289 वोट मिले। वहीं भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह के खाते में 4,99,722 वोट आए। सपा का वोट शेयर 48.59 फीसदी रहा। सपा ने 54,567 वोट के अंतर से फैजाबाद सीट पर जीत दर्ज की।

पिछले दो चुनाव जीती थी भाजपा

2014 और 2019 के चुनाव में लगातार भाजपा के लल्लू सिंह ने फैजाबाद सीट पर जीत का कमल खिलाया था। 2019 में लल्लू सिंह ने सपा के आनंद सेन यादव को 65,477 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं 2014 में लल्लू सिंह का मुकाबला सपा के मित्रसेन यादव से था। लल्लू सिंह ने ये चुनाव 2 लाख 82 हजार 775 वोट के अंतर से जीता था।

2024 सामान्य सीट पर सपा ने उतारा दलित उम्मीदवार

समाजवादी पार्टी ने एक बड़ा प्रयोग करते हुए मंदिरों के इस शहर से एक दलित को उम्मीदवार बनाया था। उसकी यह रणनीति काम कर गई है। वहीं अयोध्या से बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह का संविधान बदलने को लेकर दिया गया बयान भारी पड़ता हुआ नजर आया। राम मंदिर के निर्माण और कई विकास परियोजनाओं के बाद भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की जीत चौंकाने वाली है।

कौन से मुद्दे ने किया काम

अयोध्या के जानकारों के मुताबिक जातिगत समीकरण और अयोध्या के विकास के लिए जमीनों का अधिग्रहण को लेकर जनता में जबरदस्त नाराजगी है। इसके साथ ही कांग्रेस का आरक्षण और संविधान का मुद्दा काम कर गया। लल्लू यादव का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो संविधान में बदलाव के लिए बीजेपी को 400 से अधिक सीटें जिताने की बात कर रहे थे। वहीं बसपा का कमजोर होना भी सपा की बढ़त में बड़ा काम किया। वहीं मौजूदा सांसद लल्लू सिंह के खिलाफ क्षेत्र में एंटी इन्कंबैंसी थी। लोगों की नाराजगी उनके क्षेत्र में मौजूदगी को लेकर थी। उम्मीदवार से लोगों की नाराजगी उन्हें ले डूबी। उम्मीदवार के प्रति यह गुस्सा लोगों के भीतर बदलाव के रूप में उभरने लगा।

विकास नहीं आया काम

अयोध्या में विकास करना कोई काम नहीं आया। लोकसभा चुनाव 2019 के बाद अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को रामलला के मंदिर की आधारशिला रखने अयोध्या आए। कोरोना के खतरे के बीच रामलला का मुद्दा देश भर में गरमाया। 22 जनवरी को इस साल रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस समारोह में भाग लेने पीएम नरेंद्र मोदी पहुंचे थे। उनके साथ-साथ देश भर से विशिष्ट लोगों का यहां आगमन हुआ। हालांकि, विपक्ष का कोई भी नेता इस कार्यक्रम में भाग लेने नहीं आया। इस पर खूब राजनीति हुई। इसके बाद भी फैजाबाद सीट पर कोई असर नहीं पड़ा।

2017 में नहीं चला था कांग्रेस-सपा का गठबंधन

कांग्रेस-सपा के जिस गठबंधन को 2017 में नहीं चल पाया था, वह गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को पीछे धकेलने का काम किया है। उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकारों के मुताबिक इस चुनाव में मुस्लिम वोट ने एकजुट होकर इंडी गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया। संविधान और आरक्षण बचाने के मुद्दे को हवा देकर इंडिया गठबंधन ने बीजेपी के कोर हिंदू वोट बैंक को भी बांट दिया। विपक्ष के इस नैरेटिव ने बड़ी संख्या दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को बीजेपी से दूर किया। महंगाई और बेरोजगार के मुद्दे ने भी का मुद्दा भी काम करता दिखा।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश

   

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