पुलिस और परिजनों की निष्क्रियता के चलते गई जुबेदा की जान

हमीरपुर, 07 जून (हि.स.)। खेतों में मिला महिला के कंकाल की शुक्रवार को शिनाख्त और पोस्टमार्टम होने के बाद कस्बे में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। वहीं लोगों का कहना है कि यदि परिजनों और पुलिस ने सक्रियता दिखाई होती तो गुमशुदा महिला की तलाश की जा सकती थी और महिला की जान बच सकती थी।

मौदहा कस्बे के बाहर पढोरी रोड पर खेतों में दुर्गंध आने से चरवाहों ने लोगों को जानकारी दी, जिसके बाद लोगों ने देखा तो वहां पर एक शव पड़ा हुआ था जो कंकाल का रूप ले चुका था। मौके पर पहुंची पुलिस ने कंकाल को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और पास ही मिले कपड़ों और चप्पलों के आधार पर शिनाख्त कराने की कोशिश की। साथ ही फोरेंसिक टीम ने भी मौके पर जाकर जांच की।

मृतका की पहचान कांशीराम कालोनी छिमौली रोड निवासी जुबेदा उर्फ मुन्नी (62) पत्नी रहमान के रूप में हो गई। कंकाल की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने राहत की सांस जरूर ली होगी,लेकिन उसी के साथ कुछ प्रश्न भी खड़े हो गए। सबसे बड़ी बात यह है कि महिला बीते 23 मई की शाम गुमशुदा हुई थी,जिसकी गुमशुदगी दो दिन बाद कोतवाली पुलिस ने दर्ज की है।

क्षेत्राधिकारी मौदहा श्रेयस त्रिपाठी ने बताया कि कंकाल लगभग एक सप्ताह पुराना लग रहा है। तो सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि महिला की मौत एक सप्ताह पहले हुई और महिला दो सप्ताह पहले गायब हुई तो एक सप्ताह महिला कहां थी। कंकाल कस्बे के निकट मिला है,जिससे यह साबित होता है कि मरने से पहले भी महिला कस्बे के आसपास ही रही है अब अगर पुलिस और परिजनों ने अच्छी तरह से तलाश की होती तो शायद महिला की मौत नहीं हुई होती।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश

   

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