गुरुग्राम: सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है दृष्टिहीनता: स्वामी दिव्यानंद

-नेत्रदान के प्रति समाज में लोगों को होना चाहिए जागरुक

गुरुग्राम, 10 जून (हि.स.)। नेत्र रोगों के निदान में जुटी मंथन आई हेल्थकेयर के संस्थापक डा. स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि विकासशील देशों में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक दृष्टिहीनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कॉर्निया की बीमारियाँ मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद होने वाली दृष्टि हानि और अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक हैं। यह बात उन्होंने यहां लोगों को नेत्र दान के प्रति जागरुक करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष विश्व के विभिन्न देशों में नेत्रदान की महत्ता को समझते हुए 10 जून को विश्व नेत्रदान दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से लोगों में नेत्रदान करने की जागरुकता फैलाई जाती है। विश्व दृष्टिदान दिवस का उद्देश्य नेत्रदान के महत्व के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरुकता पैदा करना है। लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि आमजन को मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करने की शपथ लेने के लिए भी विश्व नेत्रदान दिवस प्रेरित करता है ताकि दूसरों की अंधेरी दुनिया को रोशन करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके। देश में आज भी हजारों लोग अंधेरी दुनिया में जी रहे हैं। देश में प्रत्येक वर्ष 80 से 90 लाख लोगों की मृत्यु होती है, लेकिन नेत्रदान 25 हजार के आसपास ही होता है। व्यक्ति के निधन के बाद उसकी पूरी आंख नहीं बदली जाती, केवल रोशनी वाली काली पुतली ही ली जाती है। व्यक्ति की मृत्यु के 6 घंटे तक ही कार्निया प्रयोग में लाई जा सकती है। यह प्रक्रिया अत्यंत सरल है और महज 15-20 मिनट में ही पूरी हो जाती है।

हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव

   

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