सीओ सहित पुलिस टीम पर जानलेवा हमले के मामले में 25 आरोपित दोषमुक्त

वाराणसी, 10 जून (हि.स.)। पुलिस क्षेत्राधिकारी सहित पुलिस टीम पर जानलेवा हमले के मामले में 25 आरोपितों को अपर जिला जज (त्रयोदश) मनोज कुमार सिंह की अदालत ने सोमवार को बड़ी राहत दी। अदालत ने इस मामले में मुनीब राजभर समेत 25 आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। अदालत में मुनीब राजभर की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव व चंद्रबली पटेल ने पक्ष रखा।

अभियोजन पक्ष के अनुसार लंका थाना क्षेत्र के चौकी प्रभारी नगवां तहसीलदार सिंह ने लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि वह लंका थाना क्षेत्र के नगवां से एक युवक के अपहरण के मामले की विवेचना कर रहे थे। उसी दौरान मालूम हुआ कि उक्त अभियोग से सम्बन्धित अपहृत राजा साहनी का अभी तक पता न चल पाने की बात को लेकर कुछ लोग मदरवां के सामने 05 अक्टूबर 2010 को मुख्य मार्ग पर रोड जाम कर प्रदर्शन कर रहे है। इससे आने-जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। एम्बुलेंस की कई गाड़ियां फंसी हुई है। इस सूचना पर जब वह वहां पहुंचे और उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी। जानकारी के बाद सीओ भेलूपुर, लंका थानाप्रभारी भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे तो देखा कि सड़क पर दोनों तरफ से काफी मात्रा में रोड पर वाहन बेतरतीब खड़े हैं। लोग गाड़ियों को किनारे एवं बीच में आड़े तिरछे खड़ा किये हैं। एबुलेंस की गाड़ियां फंसी है और साइरन बजा रही है। इस पर पुलिस बल ने लोगों को हटा कर देखा कि करीब ढाई-तीन सौ लोग बीच सड़क पर बांस बल्ली लगाकर आवागमन अवरूद्ध किए हैं। उन्हें समझाने का प्रयास किया तो वह लोग उग्र हो गए। साथ ही पुलिस टीम पर ईंट-पत्थर चलाने लगे, जिससे सीओ समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसी बीच हमलावरों ने दरोगा तहसीलदार सिंह को जान से मारने की नियत से उनके सिर पर लाठी से प्रहार किया। हालांकि सिर पर हेलमेट होने की वजह से वह बाल-बाल बच गए। इस मामले में पुलिस ने मुनीब चौहान समेत 25 लोगों को आरोपित बनाते हुए उनके खिलाफ आईपीसी की धारा व धारा 7 क्रिमिनल लॉ एमेन्डमेंट एक्ट व धारा 3/4 लोक सम्पत्ति के नुकसानी (निवारण) के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश

   

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