हनुमान के बिना न तो राम हैं और न रामायणः डॉ वेदांती महाराज

हरिद्वार, 13 जून (हि.स.)। कथा व्यास डॉ रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा कि हनुमानजी को भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। हनुमान सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं। हनुमान के बगैर न तो राम हैं और न रामायण।

वशिष्ठ भवन धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम के गोवर्धन हाल में चल रही संगीतमयी श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा में वशिष्ठ भवन पीठाधीश्वर महंत डॉ रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा कि वन में रावण की बहन शूर्पणखा राम-लक्ष्मण को देखकर मोहित हो गई और शादी करने के लिए दवाब बनाने लगी। मना करने पर सीता पर हमला कर दिया। क्रोधित लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काट दी। मदद के लिए शूर्पणखा खर-दूषण के पास गईं, जिन्हें राम-लक्ष्मण ने मार दिया। यह घटना शूर्पणखा ने रावण को बताई। बहन के अपमान से क्रोधित रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया।

कथा व्यास ने कहा कि जब रावण पंचवटी (महाराष्ट्र में नासिक के पास) से माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका ले गया, तब राम और लक्ष्मण जंगलों की खाक छानते हुए माता सीता की खोज कर रहे थे। ऐसे कई मौके आए, जब उनको हताशा और निराशा हाथ लगी। इस दौरान कई घटनाएं घटीं। एक और जहां सीता की खोज में राम वन-वन भटक रहे थे तो दूसरी और किष्किंधा के दो वानरराज भाइयों बाली और सुग्रीव के बीच युद्ध हुआ और सुग्रीव को भागकर ऋष्यमूक पर्वत की एक गुफा में छिपना पड़ा। इस क्षेत्र में ही एक अंजनी पर्वत पर हनुमान के पिता का भी राज था, जहां हनुमानजी रहते थे। सीता को खोजते हुए जब श्रीराम-लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत पहूंचे, तो सुग्रीव डर गया।

उन्होंने कहा कि वह भागते हुए हनुमान के पास गए और कहने लगे कि हमारी जान को खतरा है। सुग्रीव को लग रहा था कि कहीं यह बाली के भेजे हुए तो नहीं हैं। सुग्रीव ने हनुमानजी से कहा कि तुम ब्रह्मचारी का रूप धारण करके उनके समक्ष जाओ और उसके हृदय की बात जानकर मुझे बताओ। यदि वे सुग्रीव के भेजे हुए हैं तो मैं तुरंत ही यहां से कहीं ओर भाग जाऊंगा। प्रभु को पहचानकर हनुमान ने अपना असली शरीर प्रकट कर दिया। हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद जिस रोज भगवान राम ने बाली का वध किया था, तब आषाड़ मास की अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण था।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/वीरेन्द्र

   

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