कार्यशाला में राजस्व सम्बन्धी दायित्वों का दिया गया प्रशिक्षण

जगदलपुर, 15 जून (हि.स.)। जिला प्रशासन के सुदृढ़ीकरण हेतु राजस्व अधिकारियों की संभाग स्तरीय कार्यशाला के दौरान मास्टर्स ट्रेनर्स द्वारा भू-राजस्व सहिंता 1959 (धारा 109, 110, 178, 248, 250), राजस्व पुस्तक परिपत्र, भू-अभिलेख नियमावली सहित अन्य राजस्व संबंधी अधिनियम के संबंध में जानकारी दी गई। जिसके तहत नामांतरण, बटवारा, सीमांकन एवं अतिक्रमण विषय पर बीजापुर के संयुक्त कलेक्टर कैलाश वर्मा द्वारा, मसाहती सर्वे पर डिप्टी कलेक्टर सुश्री हीरा गवर्ना द्वारा, भू-अर्जन अधिनियम 2013 पर नारायणपुर के अपर कलेक्टर विरेन्द्र कुमार पंचभाई, भू-व्यपर्वतन धारा 172 पर बस्तर के डिप्टी कलेक्टर गगन शर्मा द्वारा, आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र में अपर कलेक्टर विरेन्द्र कुमार पंचभाई और आरबीसी 6-4 एवं भूमि आबंटन के विषय पर बीजापुर डिप्टी कलेक्टर जोगेश्वर कौशल के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

वन अधिकार मान्यता अधिनियम 2006 के नियमों व प्रावधानों पर बस्तर के डिप्टी कलेक्टर सुब्रत प्रधान और दंतेवाड़ा के सहायक आयुक्त आनंद सिंह द्वारा, न्यायालयीन प्रक्रिया एवं आदेश लेखन विषय पर बस्तर अपर कलेक्टर सीपी बघेल द्वारा प्रस्तुतिकरण दिया गया। साथ ही अन्य राजस्व अधिकारियों ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, नियद नेल्लानार योजना सहित राजस्व अधिकारियों के कर्तव्य एवं अधिकार विषय पर विस्तारपूर्वक अवगत कराया । इस कार्यशाला में संभाग के सभी जिले में पदस्थ समस्त अपर कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, सहायक कलेक्टर, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अधीक्षक भू-अभिलेख एवं राजस्व निरीक्षक शामिल हुए।कार्यशाला के समापन पर आभार प्रदर्शन बस्तर उपायुक्त कमिश्नर श्रीमती माधुरी सोम द्वारा की गई।

इस दौरान कमिश्नर बस्तर श्याम धावड़े ने शनिवार को कलेक्टोरेट बस्तर के प्रेरणा सभाकक्ष में आयोजित प्रशासन के सुदृढ़ीकरण हेतु राजस्व अधिकारियों की संभाग स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि राजस्व अधिकारी सकारात्मक सोच के साथ अपनी श्रेष्ठतम सेवा प्रदान करें। प्रशासन में राजस्व अधिकारी की बड़ी जिम्मेदारी है, और उसकी भूमिका राजस्व अधिकारी के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी की भी होती है। बस्तर में पदस्थापना को चुनौती के रूप में स्वीकार कर बस्तर को समझें और स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप आम जनता के प्रति संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करें और सतत सम्पर्क रखकर उनकी समस्याओं को निराकरण करने के लिए प्रयास करेंगे तो जनता का सम्मान मिलेगा।

उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग भू-अभिलेखों का नियमित तौर पर दुरुस्तीकरण करने सहित समुचित संधारण करें। बस्तर के लोगों के लिए जल-जंगल और जमीन को सर्वाधिक महत्वपूर्ण निरूपित करते हुए कहा कि बस्तर के इतिहास में इसी को लेकर मुरिया विद्रोह,भूमकाल जैसे विद्रोह हुए हैं। यहां सदियों से शासन-प्रशासन में सेतु के रूप में भूमिका यहां के मांझी,पुजारी,बैगा-गुनिया,सिरहा-पेरमा,पटेल इत्यादि पारम्परिक सामाजिक नेतृत्व की रही है,इन पारम्परिक नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श कर समस्याओं एवं जनशिकायतों को निराकृत करने पहल करेंगे तो समाज में अच्छी छवि बनेगी और दायित्वों के निर्वहन में सहूलियत होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे/केशव

   

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