उत्तराखंड एसटीएफ ने खोला 10 वर्ष पुराने हत्याकांड का राज, मुंबई से पकड़ा हत्यारा नागराज

देहरादून, 20 जून (हि.स.)। उत्तराखंड एसटीएफ ने आखिरकार 10 वर्ष पहले हुई हत्या का राज खोल ही दिया। हिमाचल प्रदेश का नागराज इस हत्याकांड का पहेली बना हुआ था। एसटीएफ ने हत्यारोपित को मुंबई के पाया सूपवार में सूप बेचते पकड़ा है, जो कोर्ट से भगोड़ा घोषित था। इसकी गिरफ्तारी पर पुलिस उप महानिरीक्षक कुमांयू परिक्षेत्र ने 20 हजार रुपये इनाम भी घोषित किया था। मामला अल्मोड़ा जिले के लमगढ़ थाना क्षेत्र का था। मृतक और हत्यारा दोनों दोस्त थे। हत्यारोपित की गिरफ्तारी वर्षों से पुलिस के लिए गुत्थी बनी हुई थी।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि 14 अक्टूबर 2014 को अल्मोड़ा जनपद के लमगढ़ थाना क्षेत्र में एक अज्ञात अधजला नरकंकाल बरामद हुआ था, जिसकी शिनाख्त गुलाब सिंह पुत्र भादलूराम निवासी ग्राम गवाली तहसील पधर जिला मंडी के रूप में उसके भाई अमर सिंह ने की थी। गुलाब सिंह की हत्या के संबंध में पुलिस को जानकारी मिली कि 10 मार्च 2014 को गुलाब सिंह व नागराज उर्फ तिलकराज गांव कुंदल जिला मंडी हिमाचल प्रदेश से लीसा के कार्य के लिए अल्मोड़ा आए थे। 18 सितंबर 2014 को नागराज ने किसी बात को लेकर गुलाब सिंह की धारदार हथियार से हत्या कर उसके चेहरे को जलाकर घास के नीचे शव छिपा दिया और वापस अपने गांव चला गया था। शक के आधार पर नागराज के विरूद्ध थाना लमगढ़ में हत्या का अभियोग पंजीकृत कराया गया। पुलिस ने जब हत्यारोपित की गिरफ्तारी करनी चाही तो वह घर से फरार हो गया था। अल्मोड़ा पुलिस ने काफी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। हिमाचल प्रदेश स्थित उसके घर की कुर्की तक की गई, लेकिन हत्यारोपित नागराज पुलिस की पकड़ से दूर रहा। लिहाजा हत्यारोपित को जिला अल्मोड़ा कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया था।

ये है मामला

पूछताछ में गिरफ्तार हत्यारोपित नागराज उर्फ तिलकराज सिंह ने बताया कि वर्ष 2014 में वह और गुलाब सिंह लमगढ़ा में लीसा निकालने का काम करते थे। दोनों की अच्छी दोस्ती थी। खाना-पीना साथ करते थे। दोनों अलग-अलग झोपड़ी में रहते थे। एक रात को दोनो खा-पी रहे थे तो गुलाब सिंह ने किसी बात में उसे गाली दे दी। इस बात पर उसने गुलाब सिंह की गर्दन पर वहीं पड़ी सरिया से वार कर दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई। फिर उसके शव को पास के ही खेत में गड्ढा खोदकर दबा दिया। शव दफनाने से पहले उसके चेहरे को लीसा निकालने के लिए प्रयोग किए जाने वाले तेजाब से जला दिया था, ताकि शव की पहचान न हो सके। फिर वहां से भागकर अपने गांव चला गया था। इसके बाद उसे गुलाब सिंह का शव पुलिस को बरामद होने और पुलिस में रिपोर्ट होने की जानकारी मिलने पर वह अपने गांव से मुंबई भाग गया। वहां पिछले 10 वर्षों से नाम व वेश बदलकर अलग-अलग होटल और रेस्टोरेंट में काम कर रहा था। गत तीन माह से मुंबई के एनटॉपहिल पुलिस स्टेशन एरिया के पास पाया सूप बार में काम कर रहा था, जहां से एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया।

छह महीने में बदल देता था ठिकाना, परिजन भी घर आने को कर दिए थे मना

हत्यारोपित ने यह भी बताया कि वह अपना ठिकाना हर छह महीने में बदल देता था, ताकि पुलिस की पकड़ से दूर रहे। वह कोरोना के समय अपने गांव आया था परंतु परिजनों ने उसे दोबारा घर न आने को कह दिया था। हत्यारोपित के परिजन अभी भी हिमाचल प्रदेश में गांव में ही रहते हैं।

हत्यारोपित के गांव से जुटाई जानकारी, एसटीएफ ने मुंबई में जमाया था डेरा

हत्यारोपित की गिरफ्तारी के लिए महीनों पहले एसटीएफ के दो कर्मचारी कैलाश नयाल और अर्जुन रावत अभियुक्त नागराज की टोह लेने उसके गांव हिमाचल प्रदेश गए थे, जहां उसके बारे में एसटीएफ को कुछ ठोस जानकारी हासिल हुई कि वह इस समय मुंबई में किसी होटल पर काम कर रहा है। इसके बाद कैलाश नयाल और अर्जुन रावत मुंबई में काफी समय से अपना डेरा जमाकर अभियुक्त के बारे में जानकारी जुटा रहे थे।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/वीरेन्द्र

   

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