भारत में तीन नए कानूनों का कार्यान्वयन मील का पत्थर : प्रो बीपी सिंह

-ट्रिपल आईटी में तीन नए कानूनों पर कार्यशाला का आयोजन

प्रयागराज, 01 जुलाई (हि.स.)। भारत में तीन नए आपराधिक कानूनों का कार्यान्वयन देश के कानूनी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ये कानून अपराध की रोकथाम, कानून प्रवर्तन और न्याय वितरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाते हैं।

उक्त विचार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व विधि विभागाध्यक्ष प्रो. बीपी सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल पर सोमवार को झलवा परिसर में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) द्वारा नए आपराधिक कानूनों, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में जागरूकता पर एक कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया।

प्रो.सिंह ने एक कानूनी विशेषज्ञ के रूप में नए आपराधिक कानूनों के विवरण में गहराई से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 का न्यायिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं पर दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। न्यायाधीशों को अपने फैसलों में नए प्रावधानों और धाराओं पर विचार करना होगा, जिससे सम्भावित रूप से देश भर की अदालतों में अधिक सुसंगत और न्यायसंगत परिणाम सामने आ सकें।

कानूनी विशेषज्ञ और अधिवक्ता, उच्च न्यायालय इलाहाबाद ऋषि चड्ढा ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 डिजिटल युग को खुले हाथों से अपना रही है। इस पहल की डिजिटल एकीकरण सुविधाओं की वजह से सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुंच कभी आसान नहीं रही। कार्यवाहक निदेशक प्रो. ओम प्रकाश व्यास ने इन तीनों कानूनों को भारतीय इतिहास के नए युग की शुरुआत बताया जो आने वाले दिनों में मील का पत्थर साबित होंगे।

इस अवसर पर डॉ. अखिलेश तिवारी, विशेष कार्याधिकारी ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और समावेशन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय पेश किए गए हैं। सुलभ उपायों से लेकर लक्षित सहायता सेवाओं तक, इस कानून का उद्देश्य इस हाशिए पर पड़े समुदाय के लिए अधिक समावेशी सामाजिक सुरक्षा ढांचा तैयार करना है। प्रो.कृष्ण मिश्रा और डॉ. संगीता सिंह ने भी देश में तीन नए कानूनों के क्रियान्वयन पर अपने विचार साझा किए।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

   

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