तीन नए आपराधिक कानून आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह सक्षम : एडजीपी

जम्मू। (हि.स.)। जम्मू के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आनंद जैन ने सोमवार को कहा कि देश में लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानून केंद्र शासित प्रदेश में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं। तीन नए आपराधिक कानून सोमवार को पूरे देश में लागू हो गए हैं, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव आए हैं। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बीएनएसएस और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बीएसए ने ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया। पुलिस स्टेशन में थाना दिवस समारोह के मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए एडीजीपी ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों की दो महत्वपूर्ण बातें सजा के स्थान पर न्याय और सुरक्षा हैं, जिसका अर्थ है कि नए कानून न केवल दोषियों को दंडित करेंगे बल्कि पीडि़तों को न्याय भी प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि न्याय और सुरक्षा आपराधिक न्याय प्रणाली के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं और दोनों पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नए कानूनों की प्रभावशीलता के बारे में पूछे जाने पर जैन ने कहा कि कानून इस खतरे के खिलाफ पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। साक्ष्य दर्ज करने और आतंकवाद का समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस संगठित अपराध से निपटने में अधिक सक्षम हो गई है और इसकी कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी हो गई है। अपराधियों की संपत्ति जब्त करने से पुलिस को इससे संगठित अपराध से निपटने में मजबूती मिलेगी। एडीजीपी ने कहा कि जीरो एफआईआर अवधारणा और 15 दिनों के भीतर शिकायत का निपटारा जवाबदेही बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि पीडि़त को उनकी शिकायत की स्थिति के बारे में सूचित किया जाना चाहिए और 90 दिनों के भीतर अभियोजन वापस लेना चाहिए, जिससे अधिक पारदर्शिता आएगी।

 

   

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