माघ मेला : संगम की रेती पर मकर संक्रांति से शुरू होगा कल्पवास

--कल्पवास से मिलता है अक्षय पुण्य : स्वामी ब्रह्माश्रम महराज

प्रयागराज, 02 जनवरी (हि.स.)। संगम की रेती पर एक माह का कल्पवास मकर संक्रांति अर्थात 14-15 जनवरी से शुरू होने जा रहा है, जो माघी पूर्णिमा तक चलेगा। कल्पवास की तैयारियों के लिए देश के कोने-कोने से कल्पवासियों की भीड़ मेला क्षेत्र में 10 जनवरी से पहुंचने लगेगी। कल्पवासी अपने शिविरों में कल्पवास की तैयारियां करके कल्पवास मकर संक्रांति से शुरू कर देंगे। इस बार माघ मेला 55 दिनों का होगा जो महाशिवरात्रि तक चलेगा।

बता दें कि, माघ मेला के छह प्रमुख स्नान पर्व हैं। पहला मुख्य स्नान पर्व मकर संक्रांति 14-15 जनवरी, दूसरा पौष पूर्णिमा 25 जनवरी, तीसरा मौनी अमावस्या 09 फरवरी, चौथा 04 फरवरी को बसंत पंचमी, पांचवां माघी पूर्णिमा 24 फरवरी और छठवां महाशिवरात्रि 08 मार्च को है। इसके साथ ही माघ मेले का समापन हो जाएगा।

अखिल भारतीय दण्डी सन्यासी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज ने बताया कि इस बार माघ मेला और कल्पवास थोड़ा पिछड़ गया है। क्योंकि पौष पूर्णिमा मकर संक्रांति के बाद पड़ रही है, लेकिन कल्पवास मकर संक्रांति 14-15 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। ऐसे में कल्पवासी 10-12 जनवरी से पहुंचने लगेगें। जबकि शेष कल्पवासी 20 जनवरी तक माघ मेला क्षेत्र में लगे शिविर में पहुंचेगे।

ब्रह्माश्रम महाराज ने बताया कि प्रत्येक सनातनधर्मी को अपने जीवन में कम से कम एक बार तीर्थराज प्रयागराज में माघ मास में कल्पवास जरूर करना चाहिए। इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि जो लोग किसी कारण वश कल्पवास नहीं कर सकते हैं वह माघ मास में गंगा और संगम में स्नान कर भगवान वेणीमाधव, बड़े हनुमान जी का दर्शन पूजन कर दान जरूर करें, इससे भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन

   

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