बंगाल की नगर पालिकाओं में 1829 पदों पर अवैध नियुक्तियां

कोलकाता, 3 जनवरी (हि.स.) । पश्चिम बंगाल में नगर पालिकाओं में नौकरी के बदले नकद मामले में भी बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अब तक की जांच से पता चला है कि राज्य की 17 शहरी निकायों में पैसे के भुगतान के बदले 1,829 अवैध भर्तियां हुई थीं। सीबीआई के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी है। केंद्रीय एजेंसी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल- पीठ को सौंपी गई एक गोपनीय रिपोर्ट में इस आंकड़े का उल्लेख किया है। केंद्रीय एजेंसी के अनुसार ये सभी भर्तियां निजी प्रमोटर अयान सिल के स्वामित्व वाली आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से की गई थीं, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों और नगर पालिकाओं के लिए नौकरी के बदले नकद के मामलों में कथित संलिप्तता के लिए न्यायिक हिरासत में हैं। वास्तव में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी, जो इन दोनों मामलों में सीबीआई के साथ समानांतर जांच कर रहे हैं, ने पहली बार स्कूल नौकरी मामले में पिछले साल मार्च में सिल के निवास छापेमारी और तलाशी अभियान चलाते हुए नगर पालिकाओं में भर्ती अनियमितताओं के बारे में दस्तावेजों का पता लगाया। इस बीच, ईडी के अधिकारियों के अनुमान के अनुसार, नगर पालिकाओं की भर्ती अनियमितताओं में कुल फंड की भागीदारी लगभग 100 करोड़ रुपये है। सूत्रों ने बताया कि ईडी के अधिकारी मोटे तौर पर गणना करके इस आंकड़े तक पहुंचे हैं कि इन शहरी निकायों में प्रत्येक अनियमित भर्ती के लिए औसतन पांच लाख रुपये का भुगतान किया गया था।

ईडी अधिकारियों के अब तक के निष्कर्षों के अनुसार नगर पालिकाओं की भर्ती अनियमितताएं मुख्य रूप से ड्राइवर, क्लर्क, निचले ग्रेड के कंप्यूटर ऑपरेटर और बेस-वर्कर जैसे निचले रैंक के पदों के लिए नियुक्ति में हुई है। निष्कर्षों के अनुसार, उत्तर 24 परगना जिले में नगर पालिकाओं के मामले में सबसे अधिक अनियमित नियुक्तियां पाई गईं।

ईडी के अधिकारियों ने कुछ हद तक उन क्षेत्रों के संबंध में मनी-ट्रेल का भी पता लगा लिया है जहां घोटाले की आय का निवेश किया गया है। ईडी के निष्कर्षों के अनुसार घोटाले की रकम मुख्य रूप से कुछ जिलों में रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश की गई थी।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश

   

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