मुरैना: नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में शॉर्ट सर्किट से लगी आग

- लगभग 44 नवजात शिशु थे इलाजरत

मुरैना, 03 जनवरी (हि.स.)। जिला चिकित्सालय के नवीन भवन में स्थित नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में बुधवार को शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। आग से एसएनसीयू में भर्ती 44 नवजात शिशुओं के जीवन पर संकट आ गया। हालांकि समय रहते चिकित्सालय प्रबंधन एवं एसएनसीयू में तैनात स्टाफ ने सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। फिलहाल इन सभी बच्चों को दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किया गया है। हालांकि वहां ऑक्सीजन को लेकर परेशानी हो रही है। उधर जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गये। प्रशासन ने भवन निर्माण की एजेंसी की प्रथम दृष्टया लापरवाही बताते हुये जांच के बाद कार्यवाही का भरोसा दिया है।

जिला चिकित्सालय के नवीन भवन के प्रथम तल पर नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई संचालित है। इस समय इसमें 44 नवजात शिशु इलाजरत हैं। बुधवार की दोपहर अचानक यहां शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। जैसे ही वहां धूंआ व आग दिखी कि वार्ड में चीख-पुकार मच गई। स्टाफ द्वारा तत्काल विद्युत व्यवस्था को बंद किया गया। लेकिन तब तक वार्ड में धुआं भर गया। एसएनसीयू में आग लगने की खबर लगते ही जिला चिकित्सालय प्रबंधन, सुरक्षागार्ड तथा जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गये। आनन फानन में सभी बच्चों को दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किया गया। आग लगने की सूचना वार्ड के बाहर आते ही बच्चों के परिजनों में घबराहट फैलने लगी। इन नवजात शिशुओं को परिजनों से अलग दूसरे वार्ड में शिफ्ट किये जाने से परिजन बच्चों की स्थिति जानने को बैचेन दिखाई दिये। कुछ परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया। हालांकि अस्पताल प्रबंधन द्वारा सभी बच्चों को सुरक्षित बताया है। वहीं अपर जिलाधीश सीबी प्रसाद ने निर्माण की गुणवत्ता को लेकर शंका जाहिर की है। जांच के बाद कार्यवाही की बात भी कही है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ गजेंद्र तोमर ने अपील जारी करते हुए कहा कि एसएनसीयू में जैसे ही धुआं उठा तो तत्काल समस्त स्टॉफ ने बच्चों को दूसरे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया और उनका इलाज आरंभ किया। अस्पताल स्टाफ की सतर्कता के कारण कोई घटना घटित नहीं हो पाई। उन्होंने आम जनता एवं मीडिया से अपील कर कहा कि वह किसी प्रकार का भ्रामक समाचार ना फैलाएं, जिससे स्थिति बिगड़े।

मौके पर मिला एक्सपायरी डेट का अग्नि शमन यंत्र: अस्पताल प्रबंधन इस मामले में अपने आप को बेशक सक्रिय बता रहा है, लेकिन उनकी सक्रियता इस बात से स्पष्ट होती है कि एसएनसीयू में जिस समय धुआं उठने की घटना हुई तो वहां मौके पर एक्सपायरी डेट का अग्नि शमन यंत्र पाया गया जो वर्धमान कंपनी के नाम से था और उसकी मियाद 16 अक्टूबर 2023 तक थी। अस्पताल प्रबंधन इतना ही सक्रिय रहता है तो अग्नि सामान यंत्रों की दो माह से जांच क्यों नहीं की गई, यह चिंतनीय विषय है। जिला अस्पताल में ऐसे कई मामले आए दिन सामने आते हैं जहां अस्पताल प्रबंधन कोई ध्यान नहीं देता।

पहले भी लग चुकी है आग: बुधवार को जिला चिकित्सालय में स्थित एसएनसीयू में आग लग गई। आगजनी के समय वहां 44 नवजात थे, लेकिन यह गनीमत रही कि किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और सभी बच्चों का अन्य वार्ड में इलाज चल रहा है। एसएनसीयू में ऐसा पहला मौका नहीं है कि यहां शॉर्ट सर्किट से आग लगी हो, बल्कि इससे पहले भी यहां आगजनी की घटनाऐं हो चुकी हैं। सवाल यह है कि आखिर जिला अस्पताल में आग की घटनाऐं लगातार क्यों होती है। दरअसल ठेकेदारों द्वारा जो भी काम किए जाते हैं उनमें बहुत ही घटिया सामग्री का उपयोग किया जाता है, फिर चाहे वह सामान निर्माण में हो अथवा बिजली के कार्यों में। हल्की क्वालिटी के बिजली के तार लगाने की वजह से शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाऐं होती है।

आगजनी में किसी को कोई हानि नहीं: सीएमएचओ: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राकेश शर्मा का कहना है कि जिला चिकित्सालय में शॉट सर्किट होने के कारण एसएनसीयू वार्ड में अचानक धूंआ उठने लगा। धुंआ कमरे में भर गया। कन्हीं किसी भी प्रकार की कोई जनहानि व शासकीय संपत्ति को क्षति नहीं पहुंची है। उधर जिला चिकित्सालय में शॉट सर्किट की सूचना मिलने पर जिलाधीश अंकित अस्थाना जिला चिकित्सालय पहुंचे। उन्होंने कहा कि घटना के संबंध में जांच कराई जायेगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्यवाही होगी। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह चौहान उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद/नेहा

   

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