इसी पृथ्वी से मनुष्य शुभ अशुभ कर्मों का फल भोगने के लिए स्वर्गादि लोकों में जाता है: सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज

साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज मिश्रीवाला में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि इसी पृथ्वी से मनुष्य शुभ अशुभ कर्मों का फल भोगने के लिए स्वर्गादि लोकों में जाता है। ऐसी व्याख्या सब धर्मों की है। साहिब ने कर्म पर एक शब्द कहा। सोच-विचारकर कर्म किया जाए। कर्म की फाँस में सब संसार फँसा हुआ है। कर्म ही धरती है, कर्म ही आकाश है। कर्म से ही राम-कृष्ण अवतार हुआ। कर्म से ही रावण का संहार हुआ। तीन लोक के नायक को भी कर्म का फल भोगना पड़ा। पिछले लोग बहुत अच्छे थे। वो पाप कर्म करने से डरते थे। पर नयी पीढ़ी पाप करने से डरती नहीं है। 

एक वेश्या ने घोर तपस्या की। ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर पूछा कि क्या वर चाहिए। बोला कि आपके जैसा पुत्र चाहुए। तब वशिष्ठ जी हुए। कर्म के कारण विष्णु जी को वासुदेव के घर आना पड़ा। उसने वरदान माँगा था कि आपके जैसा पुत्र हो। तो खुद आना पड़ा था। 

पुराने लोगों में एक अच्छी बात थी। उनको पता था कि जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलेगा। कष्ट मिलता था तो कहते थे कि कैसा कर्म किया होगा हमने जो ऐसा दुख मिल रहा है। और किसकी बात करें, महापुरुषों को भी कर्म का फल भोगना पड़ा। कर्म का लेखा मिटाने से नहीं मिटता है। एक जन्म नहीं, अनेकों जन्म तक कर्म का लेखा नहीं मिटता है। इसलिए सोच समझकर कर्म करना। नयी पीढ़ी पाप पुण्य को नहीं समझती है। चाहे करोड़ों उपाय कर ले, कर्म का फल भोगना ही है। कर्म के कारण ही हरिश्चन्द्र को कल्लू चंडाल के घर काम करना पड़ा। पर साहिब आगे कह रहे हैं कि करोड़ों कर्म पल में कट जाते हैं, जब जीव सद्गुरु की शरण आ जाता है। 

एक ने मुझसे कहा कि कर्म का लेखा बेकार बात है। कौन लिख रहा है कर्म। 24 घंटे के कर्म को लिखने के लिए 4 आदमी चाहिए। मैंने बोला कि आपको याद है कि आपने क्या क्या किया, कब कब किया। आपका घर परिवार है, याद है। बोला कि याद है। मैंने कहा कि यह याददाश्त है। इसी में सब फीड है। जैसे स्मार्ट फोन में मिमोरी कार्ड है। कितना कुछ फीड है। ऐसे ही मस्तिष्क में 2 खरब कोशिकाएँ हैं। हरेक में 2 मुख्य बातें याद रखने की ताकत है। वहाँ धर्मराज वो याददाश्त निकालकर दिखा देता है कि क्या क्या किया। कर्मों के अनुसार ही बुद्धि बनती है। पाप कर्मों से बुद्धि मलिन हो जायेगी। 

साहिब आखिर में एक बात कह रहे हैं कि करोड़ों पाप हों, एक नाम सब कर्मों को खत्म कर देगा। आप नाम के बाद बदल जायेंगे। सब पिछले कर्म मिट जायेंगे। बुद्धि बदल जायेगी। इसको कहते हैं कि सद्गुरु नाम देकर कौवे से हंस बना देता है। एक पूर्ण गुरु पिछले कर्म काट देता है। यह ताकत केवल एक पूर्ण सद्गुरु में होती है। बाकी में नहीं। नाम के बाद एक ताकत आ जाती है। पहले आप पाप कर्म करते थे तो कोई रोकने वाला नहीं था। अब रोकने वाली एक ताकत आ जाती है। इसलिए साहिब कह रहे हैं कि शीश देकर भी अगर सच्चा सद्गुरु मिल जाए, तो भी सस्ता सौदा समझना।

   

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