साइबर हैकाथॉन 1.0 : पुलिस अपना तंत्र और प्रशिक्षण से टेक्नोलॉजी अपग्रेड करेगी : डीजी डॉ मेहरड़ा

जयपुर , 17 जनवरी (हि.स.)। महानिदेशक साइबर क्राइम, एससीआरबी एवं तकनीकी सेवाएं डॉ रविप्रकाश मेहरडा ने कहा कि साइबर क्रिमिनल समय के साथ अपग्रेड होते जा रहे हैं, पुलिस भी अपना तंत्र और ट्रेनिंग मजबूत कर टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करेगी।

डीजी डॉ मेहरड़ा ने कहा कि राजस्थान में हैकाथॉन आयोजित के मुख्यतः दो मकसद थे। पहला साइबर क्राइम में अवेयरनेस और दूसरा पुलिस की समस्याओं का टेक्नोलॉजिकल सॉल्यूशन। इसके लिए साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और युवाओं को एक मंच प्रदान किया गया।

डॉ मेहरडा ने बताया कि साइबर क्राइम से बचाव के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। सड़क को यूज करने के नियम व अनुशासन की तरह ही साइबर स्पेस में अनुशासन आवश्यक है।आज लगभग हर व्यक्ति मोबाइल, लैपटॉप के मार्फत साइबर स्पेस से जुड़ा है। डिजिटल पेमेंट्स की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, इससे भी साइबर अपराधियों को मौका मिल गया। आमजन ही नही, पढ़े लिखे लोगों को भी साइबर क्रिमिनल बातों में फंसा फाइनेंशियल फ्रॉड के शिकार बना लेते हैं। जनता को जागरूक व सावचेत करना हैथाथॉन का पहला मकसद है।

उन्होंने बताया कि हैकाथॉन के दूसरा मकसद पुलिस के पास जो समस्याएं हैं, उनका टेक्नोलॉजिकल सॉल्यूशन निकालना था। इसके लिए पोर्टल पर 2 महीने पहले प्रोबलम स्टेटमेंट डाले थे। उन प्रोबलम स्टेटमेंट पर 1200 स्टूडेंट यहां 36 घंटे बैठकर अपना फाइनल टचेस देंगे। कोई सॉल्यूशन निकलेगा तो ओवरऑल तथा हर प्रॉब्लम स्टेटमेन्ट पर फर्स्ट, सेकंड व थर्ड प्राइज कुल 20 लाख रुपए का प्राइस मनी दी जाएगी, साथ ही इंटर्नशिप भी देंगे।

डीजी मेहरड़ा ने बताया कि साइबर अपराध फील्ड में लॉ इंफोर्समेंट एजेंसी और पुलिस डिफेंस के रोल में है। साइबर अटैक कभी भी हो सकता है, लेकिन बचाव हर समय करना पड़ेगा जो बहुत महंगा पड़ता है। लॉ इंफोर्समेंट एजेंसी को इंफ्रास्ट्रक्चर और टूल्स बिल्ड करने के लिए काम करना है और समय समय पर इसे अपग्रेड भी करना है। टेक्नोलॉजी की अपनी विशेषताएं हैं जो किसी के लिए अवसर तो किसी के लिये एक चुनौती के रूप में होती है।

साइबर सुरक्षा से जो जुड़े हुए मुद्दे को स्कूलों और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में स्थान मिलना चाहिए। इसमें जागरूकता आ रही है। पुलिस और अन्य एजेंसी शिक्षण संस्थाओं में इस बारे में सावचेत करते हैं। वर्तमान में 15-16 वर्ष के बच्चे भी मोबाइल यूज कर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर है। इसके अलावा अनपढ़ व्यक्ति स्मार्ट नही तो फीचर फोन पर उपलब्ध है। पुलिस को अपना तंत्र और ट्रेनिंग और मजबूत करनी पड़ेगी और लगातार टेक्नोलॉजी का अपग्रेड करना होगा।

सात सेशन्स में साइबर एक्सपर्ट्स ने रखे विचार

साइबर हैकाथॉन 1.0 के तहत पहले दिन बुधवार को मुख्य ऑडिटोरियम एवं मिनी ऑडिटोरियम में एक-एक घंटे के कुल 7 सेशन हुए।

डीजी साइबर क्राइम, एससीआरबी एवं तकनीकी सेवाएं डॉ रविप्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि उद्घाटन के बाद पहले सेशन में पुलिसिंग में उभरती प्रौद्योगिकियां विषय पर रिटायर्ड डीजीपी जयंथ मुरली व दूसरे सेशन में साइबर क्राइम अवेयरनेस में मीडिया की भूमिका पर लल्लनटॉप के फाउंडर एडिटर सौरभ द्विवेदी ने प्रकाश डाला। ।

मिनी ऑडिटोरियम में तीसरा सेशन दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग, साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए एआई व एमआई का उपयोग विषय पर हुआ। इसे असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल सिविल सर्वेंट गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया नवीन जाखड़ ने सम्बोधित किया। चौथा सेशन पुलिस विभाग में सिलोड ऐप डेवलपमेंट के बारे में था। इसकी व्याख्या सेनपाइपर टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर गौरव सेंगर द्वारा की गई।

पांचवा सेशन महिलाओं और बच्चों की तस्करी में इंटरनेट के दुरुपयोग और जांच एवं रोकथाम में इंटरनेट के उपयोग पर हुआ। आईपीएस रवीना त्यागी और एसपी बीकानेर तेजस्वनी गौतम ने इस पर व्यक्तव्य दिया। छठा सेशन राजस्थान स्टार्टअप इकोसिस्टम एंड पॉलिसी पर था। डीओआईटी कमिश्नर इंद्रजीत सिंह ने इसे सम्बोधित किया गया। पहले दिन का सातवां सेशन स्टार्टअप में चुनौतियाँ और सफलता विषय पर रहा। इस विषय पर असर्ट एआई के को-फाउंडर नितिन जैन ने प्रकाश डाला।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/संदीप

   

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